कर्नल वसंत वेणुगोपाल से थर-थर कांपते थे आतंकी, घायल होने के बावजूद दुश्मनों को चटाई थी धूल

आज भारतीय सेना (Indian Army)  के एक ऐसे जांबाज का शहादत दिवस है जिसने आतंकियों (Terrorists) से भारत भूमि की रक्षा करते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी। उस शूरवीर का नाम है कर्नल वसंत वेणुगोपाल (Colonel Vasanth Venugopal)।

Colonel Vasanth Venugopal

फाइल फोटो।

आज भारतीय सेना (Indian Army)  के एक ऐसे जांबाज का शहादत दिवस है जिसने आतंकियों (Terrorists) से भारत भूमि की रक्षा करते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी। उस शूरवीर का नाम है कर्नल वसंत वेणुगोपाल (Colonel Vasanth Venugopal)। कर्नल वसंत वेणुगोपाल ने जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में 31 जुलाई, 2007 को घुसपैठियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवाई थी। कर्नल वेणुगोपाल को मरणोपरांत ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया गया।

कर्नाटक के बैंगलोर में वसंत वेणुगोपाल का जन्म हुआ था। उनकी मां का नाम प्ररफुल्ला और पिता का नाम एनके वेणुगोपाल है। वे दो भाइयों में सबसे छोटे थे। उनकी पढ़ाई उडुपी, शिमोगा और बैंगलोर में हुई। कॉलेज के दिनों में वह राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) के कैडेट थे।

चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ सैम मानेकशॉ के नेतृत्व में लड़ा गया था 1971 का युद्ध, आंतों, जिगर और गुर्दों में लगी थी गोली

वेणुगोपाल ने साल 1988 में भारतीय सैन्य अकादमी ज्वॉइन किया था। वे देहरादून सैन्य अकादमी से पास आउट हुए। 10 जून, 1989 को उन्हें मराठा लाइट इन्फैंट्री की 9 वीं बटालियन में कमीशन मिला। अठारह साल के अपने सैन्य जीवन में वे पठानकोट, सिक्किम, गांधीनगर, रांची, बैंगलोर और जम्मू-कश्मीर में तैनात रहे। 28 अक्टूबर, 2006 को उन्होंने 9 वीं बटालियन, मराठा लाइट इन्फैंट्री के कमांडिंग ऑफिसर के रूप में पदभार संभाला। यह बटालियन उस समय जम्मू -कश्मीर के उरी सेक्टर में तैनात थी।

31 जुलाई, 2007 को कुछ घुसपैठियों के मौजूदगी की खबर मिली थी। कर्नल वेणुगोपाल (Colonel Vasanth Venugopal) उन्हें पकड़ने के लिए निकल पड़े अपनी टीम के साथ। उस टीम को वो खुद लीड कर रहे थे। घुसपैठियों को इसकी भनक लग गई थी और वे LoC पार कर भागने की कोशिश में थे।

1965 की जंग: क्या था ऑपरेशन जिब्राल्टर? पाकिस्तान ने ऐसे बिछाई थी युद्ध की बिसात

आतंकी जंगलों का फायदा उठाकर छिपने की कोशिश करने लगे। हमारे जवानों ने उन आतंकियों को घेर लिया और उनके भागने के सभी रास्तों को बंद कर दिया। दोनों ओर से भीषण मुठभेड़ शुरू हो गई। कर्नल (Colonel Vasanth Venugopal) अपनी टीम को सामने रह कर लीड कर रहे थे। यह मुठभेड़ पूरी दिन और पूरी रात चली।

इस बीच आतंकी घने जंगलों और रात के अंधेरे का फायदा उठाकर भागने की पूरी कोशिश कर रहे थे। पर, आतंकियों के भागने की हर कोशिश को हमारे जांबाजों ने नाकाम कर दिया। 31 जुलाई की सुबह कर्नल वेणुगोपाल (Colonel Vasanth Venugopal) ने आतंकियों के इस लुका-छिपी के खेल को खत्म करने का फैसला किया। कर्नल ने सामने से आतंकियों पर हमला किया और एक आतंकी को मार गिराया। पर, इस दौरान वो बुरी तरह घायल हो गए।

1971 भारत-पाक युद्ध: इस जवान को जिंदा रहते मिला था परमवीर चक्र, जानें इस सैन्य सम्मान की खासियतें

घायल होने के बावजूद कर्नल (Colonel Vasanth Venugopal) ने लड़ना जारी रखा। उन्होंने अपना साथी जवानों का हौसला बढ़ाते हुए आतंकियों के भागने के सभी रास्तों को ब्लॉक कर दिया। इस दौरान उन्होंने भागने की कोशिश कर रहे एक और आतंकी को मार गिराया। लेकिन तभी एक दूसरे आतंकी ने उनपर फायर कर दिया। जमीन पर गिरने से पहले इस दिलेर ने उस आतंकी को भी मार गिराया।

कर्नल वेणुगोपाल (Colonel Vasanth Venugopal) की हिम्मत और जांबाजी की वजह से हमारे जवानों ने उस मुठभेड़ में शामिल सभी 8 आतंकियों को मार गिराया। पर, दुर्भाग्य से देश ने अपने वीर सपूत कर्नल वसंत वेणुगोपाल को खो दिया। 2007 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत सरकार ने कर्नल वसंत वेणुगोपाल को मरणोपरांत ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया। यह सम्मान पाले वाले वह कर्नाटक के पहले सैनिक थे।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें