तिब्बत पर अपना हक मानता है चीन, 50 के दशक में किया था हमला

भारत और चीन के रिश्ते बीते कुछ सालों में खराब हुए हैं। सीमा विवाद के चलते चीन हमारे खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाए हुए है। चीन हमेशा से विस्तारवादी की नीति को फॉलो करता आया है।

Tibet

Chinese Army: चीन (China) का तिब्बत (Tibet) पर कभी शासन था लेकिन वह थोड़े समय के लिए ही था। ऐसे में चीन का तिब्बत पर अब कोई हक नहीं है।

भारत और चीन के रिश्ते बीते कुछ सालों में खराब हुए हैं। सीमा विवाद के चलते चीन हमारे खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाए हुए है। चीन हमेशा से विस्तारवादी की नीति को फॉलो करता आया है। भारत की आजादी के कई दशकों बाद भी चीन के साथ सीमा विवाद जस के तस बने हुए हैं।

चीन, तिब्बत (Tibet) पर भी अपना हक जताता आया है। तिब्बत को चीन में एक स्वायत्तशासी क्षेत्र का दर्जा मिला हुआ है। चीन का दावा है कि इस इलाके पर उसकी संप्रभुता सदियों से रही है।

1950 के दशक से दलाई लामा और चीन के बीच शुरू हुआ विवाद, चीन सेना ने कर दी थी तिब्बत पर चढ़ाई

हालांकि, खुद तिब्बत के लोग और धार्मिक नेता इस बात से इनकार करते हैं। वह इतना जरूर मानते हैं कि चीन का तिब्बत पर कभी शासन था लेकिन वह थोड़े समय के लिए ही था। ऐसे में चीन का तिब्बत पर अब कोई हक नहीं है।

1950 के दौरान तिब्बत को लेकर भी चीन भारत के खिलाफ आक्रामक था। पर साल 1959 में चीन ने बलपूर्वक इस पूरे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। उसने तिब्बत के एक शिष्टमंडल से एक संधि पर हस्ताक्षर करा लिए जिसके अधीन तिब्बत की प्रभुसत्ता चीन को सौंप दी गई।

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तिब्बत (Tibet) पर आए इस संकट को भांपते हुए धर्मगुरु दलाई लामा को भाग कर भारत आना पड़ा और तभी से वे तिब्बत की स्वायत्तता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी चीन विस्तारवाद की रणनीति के तहत समुद्र से लेकर जमीन तक हड़प रहा है।

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