छत्तीसगढ़: …जब डीआरजी-एसटीएफ के जवानों को पहली बार हुआ इतना बड़ा नुकसान

इस साल मार्च महीने में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सुकमा में नक्सली हमले (Naxal Attack) में हमारे 17 जवान शहीद हो गए थे। इसके साथ ही 14 जवान घायल भी हो गए थे।

Naxal Attack

सांकेतिक तस्वीर।

इस साल मार्च महीने में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सुकमा में नक्सली हमले (Naxal Attack) में हमारे 17 जवान शहीद हो गए थे।

नक्सलियों (Naxals) के खिलाफ हमारे वीर जवानों का पराक्रम देखते ही बनता है। ऐसे कई मौके आए हैं, जब सेना के जवानों ने कई बड़े ऑपरेशन लॉन्च कर नक्सलियों को उनके गढ़ में घुसकर मार गिराया है। सटीक जानकारी और खुफिया तरीके से अंजाम दिए गए ऑपरेशन हमेशा सफल साबित हुए हैं।

वहीं, कई ऑपरेशन ऐसे होते हैं जिनमें नक्सलियों (Naxalites) को पहले ही भनक लग जाती है। ऐसे में सेना के जवानों को भी नुकसान उठाना पड़ जाता है। इस साल मार्च महीने में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सुकमा में नक्सली हमले (Naxal Attack) में हमारे 17 जवान शहीद हो गए थे। इसके साथ ही 14 जवान घायल भी हो गए थे।

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शहीद होने वाले जवानों में एसटीएफ और डिस्ट्रिक रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के जवान शामिल थे। मिनपा के जंगलों में सीआरपीएफ (CRPF), एसटीएफ (STF) और डीआरजी (DRG) की संयुक्त पार्टी सर्च ऑपरेशन के लिए निकली थी। हमला (Naxal Attack) कोराजगुड़ा के चिंतागुफा इलाके में हुआ था।

नक्सली इस हमले (Naxal Attack) के बाद 12 एके47 रायफल और अन्य 15 तरह के हथियार लूटकर ले गए थे। बस्तर (Bastar) के आईजी पी. सुंदराजन ने इसकी पुष्टि की थी। मिनपा के जंगल से जवानों के शवों को सर्च ऑपरेशन के बाद बरामद किया गया था। घायल जवानों को हेलिकॉप्टर के जरिए रायपुर के अस्पताल में ईलाज के लिए एयरलिफ्ट किए गए थे।

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हमले (Naxal Attack) से पहले सेना को एल्मागुंडा के नजदीक नक्सलियों के छिपे होने की खबर मिली थी। एल्मागुंडा, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 450 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। इस सूचना के पुख्ता होने के तुरंत बाद संयुक्त ऑपरेशन (डीआरजी, स्पेशल टास्क फोर्स और कोबरा बटालियन) के तहत कार्रवाई शुरू की गई थी।

जैसे ही जवान सर्च ऑपरेशन के दौरान कोराजगुड़ा पहाड़ियों पर पहुंचे तो नक्सलियों ने हमला बोल दिया। मुठभेड़ स्थल नक्सलियों का कोर इलाका माना जाता है। यहां नक्सलियों के जमावड़े की सूचना के आधार पर उक्त ऑपरेशन किया गया था। जैसे ही सेना पर फायरिंग शुरू हुई जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी गई। सेना के जवानों ने पांच नक्सलियों को मौके पर ढेर कर दिया था और कुछ नक्सली घायल भी हुए थे।

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सुकमा छत्तीसगढ़ के सबसे ज्यादा नक्सली प्रभावित क्षेत्रों में शामिल है। सुकमा के अलावा बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, नारायणपुर, कोंडागांव, कांकेर, राजनांदगांव, बालोद, गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, कवर्धा और बलरामपुर जिले भी नक्सल प्रभावित हैं।

छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की समस्या से लड़ने की जिम्मेदारी सीआरपीएफ और राज्य पुलिस दोनों की है और बीते कुछ सालों के दौरान आपसी तालमेल के बूते कई नक्सलियों को ढेर किया जा चुका है। हालांकि, अब छत्तीसगढ़ के इन नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सलियों (Naxalites) की पकड़ लगातार कमजोर हो रही है। पिछले तीन सालों के दौरान नक्सली हमलों (Naxal Attack) में भारी गिरावट देखने को मिली है।

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नक्सल प्रभावित इलाकों में सेना की भारी संख्या में तैनाती और अलग-अलग ऑपरेशन के जरिए समय-समय पर लिए जाने वाले एक्शन के बाद थोड़ा सुधार देखने को मिला है। नक्सलवाद के खात्मे के लिए राज्य सरकार के साथ-साथ केन्द्र सरकार भी काफी सख्त रवैया अपना रही है।

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