Sukma Naxal Attack: जन्मदिन पर घर आने का वादा कर गए थे शहीद हेमंत मानिकपुरी

छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली मुठभेड़ (Sukma Naxal Attack) में शहीद जवान हेमंतदास मानिकपुरी का पार्थिव शरीर जैसे ही उनके पैतृक गांव बड़ेबेंदरी पहुंचा लोगों, माहौल गमगीन हो गया।

Sukma Naxal Attack

छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली मुठभेड़ (Sukma Naxal Attack) में शहीद जवान हेमंतदास मानिकपुरी का पार्थिव शरीर जैसे ही उनके पैतृक गांव बड़ेबेंदरी पहुंचा लोगों, माहौल गमगीन हो गया। परिवार वालों का रो-रो कर बुरा हाल था। सुकमा जिले के मिनपा में 21 मार्च को हुए नक्सली हमले में सुकमा के छिंदगढ़ के रहने वाले जलवान हेमंतदास मानिकपुरी शहीद हो गए।

Sukma Naxal Attack
शहीद हेमंतदास मानिकपुरी।(फाइल फोटो)

शहीद हेमंत का पैतृक गांव कोंडागांव जिले के बड़ेबेंदरी में है। जैसे ही शहीद पार्थिव शरीर बड़ेबेंदरी पहुंचा शहीद हेमंत के अंतिम दर्शन के लिए लोग उमड़ पड़े। शहीद की अंतिम यात्रा में पीसीसी चीफ मोहन मरकाम, कलेक्टर नीलकंठ टेकाम, एसपी सुजीत कुमार उपस्थित थे। मोहन मरकाम और कलेक्टर ने शव को कंधा दिया। राजकीय सम्मान के साथ शहीद बेटे के शव को पिता सुखदास ने मुखाग्नि दी।

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‘बेटा अपना ध्यान रखना…’: सुकमा नक्सली मुठभेड़ (Sukma Naxal Attack) में शहीद हेमंतदास की उम्र महज 27 साल थी। शहीद के पिता सुखदास ने बताया कि दो दिन पूर्व फोन पर हेमंत से पिता की बात हुई थी। उस दौरान बेटे ने पिता से कहा था- पापा सर्चिंग में जाना है। खाने का सामान खरीदने जा रहा हूं। पिता ने बेटे को समझाते हुए कहा था- बेटा अपना ध्यान रखना। सुखदास मानिकपुरी ने बेटे की चिता को मुखाग्नि देने के पहले फेरे लगाने के दौरान बार-बार बेटे से फोन पर हुई बात ही दोहराते रहे। पिता सुखदास मानिकपुरी बार-बार एक ही बात दोहराते रहे- बेटा अपना ध्यान रखना। मुखाग्नि देते समय भी उनकी जुबां पर बस यही वाक्य था। यह सब देख वहां मौजूद लेगें का दिल छलनी हुआ जा रहा था।

2017 में जिला पुलिस बल में हुआ था चयन: हेमंत का जन्म 2 अप्रैल, 1993 को सुकमा जिले के छिंदगढ़ में हुआ था। उनका परिवार मूलतः कोंडागांव जिले के बड़ेबेंदरी का रहना वाला है। पिता सुखदास मानिकपुरी शासकीय सेवा में छिंदगढ़ में रहे। वहां से चारामा में तबादला हो गया। मानिकपुरी चारामा तहसील में लिपिक के पद पर कार्यरत हैं। तीन भाई और दो बहनों में हेमंत सबसे छोटे थे। हेमंत की प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा चारामा में हुई। उन्होंने उच्च शिक्षा कांकेर महाविद्यालय से प्राप्त की थी। हेमंत का चयन साल 2017 में जिला पुलिस बल, सुकमा में हुआ।

‘तीन बार नक्सली हमले में बचा हूं,अब शायद ही…’ : सुकमा में हुए नक्सली मुठभेड़ (Sukma Naxal Attack) में शहीद हेमंत के दोस्त राजू सोनी ने बताया होली में वह छुट्टी में हेमंत चारामा आया था। दोस्तों के साथ जमकर होली खेला। इस दौरान हेमंत ने कहा था वह ड्यूटी के दौरान तीन बार नक्सली हमले में बच चुका है। लेकिन अब शायद मौका नहीं मिले। दोस्तों ने भी उसे संभल कर ड्यूटी करने सलाह दी थी। हेमंत नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई भी कर रहे थे। वे एमए की परीक्षा दे रहे थे।

जन्मदिन पर घर आने का वादा किया था: वर्तमान में हेमंत डीआरजी सुकमा में अपनी सेवा दे रहे थे। मात्र दो साल की सेवा अवधि के दौरान ही हेमंत ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। हेमंत अंतिम बार होली की छुट्टी पर घर आए थे। दूसरे दिन ड्यूटी के लिए रवाना होते समय उन्होंने 2 अप्रैल को जन्मदिन में फिर घर आने का वादा किया था। परिजनों ने उसके लिए कोंडागांव में एक लड़की भी देखी थी जिसे देखने वह भी जाने वाले थे। उसके पहले ही शहीद हो गए। पर किसे पता था कि वह हेमंत की आखिरी होली थी, वे अब कभी लौट कर नहीं आएंगे।

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