चल रही थी शादी की तैयारियां, घर पहुंचा जवान का तिरंगे में लिपटा शव

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजापुर (Bijapur) जिले में 10 फरवरी को हुए पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ (Naxal Encounter) में सीआरपीएफ (CRPF) के 6 जवान घायल हो गए थे।

Martyr Purnanand

Martyr Purnanand

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजापुर (Bijapur) जिले में 10 फरवरी को हुए पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ (Naxal Encounter) में सीआरपीएफ (CRPF) के 6 जवान घायल हो गए थे। दो जवान इस मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। शहीद जवानों में एक जवान राजनांदगांव जिले के जंगलपुर के पूर्णानन्द (Martyr Purnanand) थे।

Martyr Purnanand
रोते-बिलखते शहीद के परिजन।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजापुर (Bijapur) जिले में 10 फरवरी को हुए पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में सीआरपीएफ (CRPF) के 6 जवान घायल हो गए थे। दो जवान इस मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। शहीद जवानों में एक जवान राजनांदगांव जिले के जंगलपुर के पूर्णानन्द (Martyr Purnanand) थे। 11 फरवरी की सुबह जब शहीद पूर्णानन्द का पार्थिव शरीर पैतृक गांव लाया गया तो गांव ने शहीद को भारत माता की जय, पूर्णानन्द अमर रहे के नारों के साथ नम आंखों से अंतिम विदाई दी।

घर में चल रही थी शादी की तैयारियां

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के पामेड़ इलाके में नक्सल मुठभेड़ में शहीद हुए जवान पूर्णानंद साहू (Martyr Purnanand) की एक महीने बाद शादी होने वाली थी। 6 मार्च को सगाई और 27 मार्च से पूर्णानंद सात फेरे लेने वाले थे। परिजन शादी की तैयारियों में जुटे थे। घर में रंगाई-पुताई का काम चल रहा था। अचानक दोपहर में उनके घायल होने की खबर मिली। देर शाम तक शहादत की सूचना से माहौल मातम में बदल गया।

परिवार वालों के मुताबिक, पूर्णानंद (Martyr Purnanand) शादी के लिए छुट्‌टी लेकर जल्द घर लौटने वाले थे। शहर से सटे ग्राम जंगलपुर निवासी पूर्णानंद साहू सीआरपीएफ (CRPF) की कोबरा बटालियन के जवान थे। 10 फरवरी को टीम के साथ वे सर्च ऑपरेशन पर निकले थे। रास्ते में नक्सलियों से मुठभेड़ हो गई। करीब एक घंटे तक चली इस मुठभेड़ में पूर्णानंद और उनके कुछ साथियों को गोली लगी। इसमें पूर्णानंद शहीद हो गए।

परिवार का इकलौता सहारा थे पूर्णानंद

27 साल के पूर्णानंद (Martyr Purnanand) का 2013 में सीआरपीएफ (CRPF) के लिए चयन हुआ था। पूर्णानंद की नीमच में ट्रेनिंग हुई। पूर्णानन्द की पहली पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में हुई थी। इसके बाद जगदलपुर के करनपुर में पोस्टिंग थी। यहीं उनका हेडक्वार्टर था। शहीद के पिता रिक्शा चालक थे। इससे होने वाली कमाई से ही बेटे की परवरिश की और पढ़ाया।

पूर्णानंद के परिवार के सदस्यों और दोस्तों ने बताया कि वह दिवाली और फिर नए साल के दौरान छुट्‌टी पर आए थे। यहीं उनकी पूर्णानंद के साथ आखिरी मुलाकात थी। शहीद पूर्णानन्द (Martyr Purnanand) के परिवार में माता-पिता के अलावा 3 बहन और छोटा भाई है। एक बहन की शादी हो चुकी है। जबकि 2 बहन और भाई की पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी पूर्णानंद पर थी। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। नौकरी लगने के बाद पूर्णानंद ने ही परिवार को सहारा दिया। छोटे भाई बहनों की पढ़ाई का पूरा खर्च वही उठाते थे।

शहीद के अंतिम दर्शन को उमड़े लोग

शहादत की खबर गांव में पहुंची तो पूरा गांव गमगीन हो गया। 11 फरवरी की सुबह से ही पूरा गांव अपने वीर सपूत के अंतिम दर्शन करने इकट्ठे हो गए थे। जैसे ही शहीद के पार्थिव शरीर को गृहग्राम जंगलपुर लाया गया, वाहनों का काफिला देख पूर्णानन्द अमर रहे, भारत माता की जय के नारे लगने लगे। शहीद (Martyr Purnanand) के घर में परिवार के अलावा पूरा गांव हजारों की संख्या में अंतिम दर्शन के लिए पहुंचा था।

शहीद का पार्थिव शरीर लेकर पहुंचे सीआरपीएफ के जवानों के साथ जिले कलेक्टर जेपी मौर्य, एसपी ध्रुव और पुलिस विभाग के आला अधिकारी आए थे। शहीद के पार्थिव शरीर को घर से शहीद के खेत तक बाजे-गाजे के साथ कंधो में लेकर गए, वहां शहीद पूर्णानन्द (Martyr Purnanand) को सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया।

पिता ने कहा- मुझे मेरे बेटे पर नाज है

शहीद पूर्णानन्द (Martyr Purnanand) के पिता लक्ष्मण साहू ने बताया कि मैं खुद पुलिस में जाना चाहता था, लेकिन नहीं जा पाया। पहले बेटा स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत था। ना जाने कब बेटे ने फोर्स में जाने का मन बनाया और सीआरपीएफ में भर्ती हो गया। जब फोर्स में चयन हुआ तब मुझे पता चला। उस दिन मैंने मान लिया था कि अब पूर्णानन्द मेरा बेटा नहीं रहा, अब ये देश का बेटा हो गया। मुझे मेरे बेटे की शहादत पर गर्व है। शहीद पूर्णानन्द के पिता लक्ष्मण साहू ने कहा मुझे मेरे बेटे पर नाज है।

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