‘जब तक चिट्ठी पहुंचेगी, आपको आसमान से देख रहा होऊंगा’, कारगिल शहीद का आखिरी खत

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) में भारतीय सेना (Indian Army) ने जबरदस्त जीत हासिल की थी। कारगिल का नाम सुनते ही भारतीय जवानों के बहादुरी के किस्से याद आते हैं।

Captain Vijayant Thapar

शहीद कैप्टन विजयंत थापर।

Kargil War: कैप्टन विजयंत थापर (Captain Vijayant Thapar) ने जंग के मैदान में दुश्मनों को छठी का दूध याद दिला दिया था। वे कई साथियों समेत शहीद हो गए थे। थापर को सेना में शामिल हुए महज 6 महीने ही हुए थे।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) में भारतीय सेना (Indian Army) ने जबरदस्त जीत हासिल की थी। कारगिल का नाम सुनते ही भारतीय जवानों के बहादुरी के किस्से याद आते हैं। इस युद्ध में भारत के कई युवा सैनिकों ने अपनी जान की बाजी लगाकर देश को जीत दिलाई थी। कारगिल युद्ध में भारत की जीत को 20 से ज्यादा साल हो गए हैं।

पाकिस्तान को इस युद्ध में भारी नुकसान झेलना पड़ा था। युद्ध में यूं तो सभी जवानों का योगदान होता है, लेकिन कुछ जवान ऐसे होते हैं जिनके शौर्य और बलिदान के चर्चे हमेशा होते रहते हैं। ऐसे ही एक जवान कैप्टन विजयंत थापर (Captain Vijayant Thapar) भी थे।

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उन्होंने जंग के मैदान में दुश्मनों को छठी का दूध याद दिला दिया था। वे कई साथियों समेत शहीद हो गए थे। थापर को सेना में शामिल हुए महज 6 महीने ही हुए थे और उन्हें युद्ध के मैदान में जाना पड़ गया था। थापर इस जंग में देश के लिए कुर्बानी देने वाले सबसे कम उम्र के जांबाज थे। युद्ध में शहीद होने से पहले उन्होंने अपने माता-पिता को खत लिखा था। इस खत में उन्होंने कई बातें साझा की थी।

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कैप्टन विजयंत थापर (Captain Vijayant Thapar) ने शहादत से कुछ घंटे पहले दोस्त को खत लिखकर दे दिया था। उन्होंने खत में लिखा था, “जब तक चिट्ठी पहुंचेगी, आपको आसमान से देख रहा होऊंगा। लेकिन मुझे कोई पछतावा इसका नहीं है, अगला जन्म हुआ तो मैं एक बार फिर से अपनी मातृभृमि के लिए खुद को बलिदान कर दूंगा।”

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