सेना के जवानों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होता है बम को डिफ्यूज करना।
Indian Army: बम निरोधक दस्ते (Bomb Disposal Squad) के सदस्यों को हालात को ध्यान में रखते हुए काम करना होता है। सेना द्वारा बमों को डिफ्यूज करने के लिए अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
भारतीय सेना के जवान जान की बाजी लगाकर किसी भी मुश्किल चुनौती से निपटने में पीछे नहीं हटते। वीर सपूतों ने इस बात को कई मौकों पर साबित भी किया है। भारतीय सेना के जवानों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में हर चुनौतियों के मुताबिक टीम बनाई गई हैं। एक ऐसी ही टीम बम निरोधक दस्ते (Bomb Disposal Squad) की भी जो कि मौत का खेल खेलने के लिए जानी जाती है।
ऐसा इसलिए क्योंकि इस टीम में शामिल जवान बमों को डिफ्यूज करते हैं। बम निरोधक दस्ते के सदस्यों के लिए बमों को निष्क्रिय करना रोजमर्रा का काम है। वे बेहद ही सावधानी और सतर्कता के साथ इस काम को पूरा कर लेते हैं। हालांकि थोड़ी सी चूक भारी भी पड़ जाती है।
छत्तीसगढ़ व अन्य नक्सल-प्रभावित इलाकों में इस दस्ते के जवानों द्वारा बारूद सुरंग विस्फोटकों को निष्क्रिय किया जाता रहा है। बम निरोधक दस्ते के सदस्यों को हालात को ध्यान में रखते हुए काम करना होता है। सेना द्वारा बमों को डिफ्यूज करने के लिए अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
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रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों आदि महत्वपूर्ण जगहों पर भी इनकी तैनाती होती है। किसी विस्फोटक के पता लगने पर यह टीम (Bomb Disposal Squad) तुरंत मौके पर पहुंचकर हालात को अपने काबू में लेती है। अपना जान की बाजी लगाकर जवान आम जिंदगी को बचाने से पीछे नहीं हटते। बम डिफ्यूज करना बेहद कठिन काम होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जरा सी चूक होने पर बम फट सकता है।
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