भारतीय सुरक्षाबलों ने तोड़ी आतंकी संगठनों की कमर, जानें इस साल के बड़े एंटी टेरेरिस्ट ऑपरेशंस के बारे में

पिछले कुछ सालों में भारतीय सुरक्षाबलों ने जिस तरह से कश्मीर घाटी से आतंकवाद और चरमपंथ के खिलाफ अभियान (Anti Terrorist Operations) चलाया है, उसने कट्टरपंथियों के हौसले पस्त कर दिए हैं।

Anti Terrorist Operations

सांकेतिक तस्वीर।

भारतीय सुरक्षाबलों के आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन (Anti Terrorist Operations) का परिणाम ही है कि जैश के आतंकियों की संख्‍या में लगातार गिरावट आई है।

पिछले कुछ सालों में भारतीय सुरक्षाबलों ने जिस तरह से कश्मीर घाटी से आतंकवाद और चरमपंथ के खिलाफ अभियान (Anti Terrorist Operations) चलाया है, उसने कट्टरपंथियों के हौसले पस्त कर दिए हैं। हालत ये हैं कि कई बार हिज्बुल और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के शीर्ष पद खाली रहने तक की नौबत आ गई। वजह ये है कि इस साल जवानों ने एनकाउंटर में बड़े आतंकी कमांडरों को मार गिराया।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब कश्मीर में 170 से 200 के बीच ही आतंकी शेष रह गए हैं। इनमें से 40 पाकिस्तान के बताए जा रहे हैं। इनमें सबसे अधिक आतंकी संगठन हिज्बुल और लश्कर के आतंकी हैं। सेना के ऑपरेशन (Anti Terrorist Operations) का परिणाम ही है कि जैश के आतंकियों की संख्‍या में लगातार गिरावट आ रही है क्योंकि सीमा पार से घुसपैठ पर विराम लग चुका है जिस कारण सीमा की दूसरी ओर से ट्रेनिंग लेकर जैश के आतंकी भारत में नहीं घुस पा रहे हैं।

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आतंकवाद के सफाए के साथ-साथ सेना ने कई आतंकियों को सरेंडर करने का भी निमंत्रण दिया। इसका ही नतीजा है कि सेना के सामने इस साल 17 आतंकियों ने हथियार डाले और मुख्यधारा में लौटे। इनमें से 12 आतंकियों ने मुठभेड़ के दौरान आत्मसमर्पण किया।

‘ऑपरेशन ऑलआउट’: आतंकवादियों पर नकेल कसने का अभियान 2017-18 में और भी तेज हो गया, जब भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ शुरू किया। इसका मकसद आतंकियों के नेतृत्व को खत्म करना और घाटी से आतंकी मॉड्यूल का सफाया था। इस साल सेना द्वारा घाटी में चलाए गए कुछ सफलतम ऑपरेशंस में से एक ‘ऑपरेशन ऑलआउट’ (Operation All Out) है।

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रिपोर्ट्स के अनुसार, घाटी में मौजूद आतंकी संगठनों में शामिल होने वाले युवाओं की संख्या में भी कमी देखी गई है। साल 2020 की शुरुआत में घाटी में करीब 300 आतंकी मौजूद थे जिनकी संख्या घटकर अब 170 से 200 के बीच रह गई है। सुरक्षाबलों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में साल 2020 में दिसंबर तक करीब 203 आतंकवादियों को मार गिराया गया है। वहीं, 2019 में मारे गए आतंकियों की संख्या 152 थी।

‘ऑपरेशन जैकबूट’: 2020 में साल सेना द्वारा मार गिराए गए कुछ बड़े आतंकियों की लिस्ट में जो एक बड़ा नाम शामिल है, वो है हिज्बुल मुजाहिद्दीन कमाडंर रियाज नाइकू का। घाटी में आतंकवाद को खत्म करने के पिछले साल अक्टूबर माह में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने ‘ऑपरेशन जैकबूट’ शुरू किया था। इस ऑपरेशन (Anti Terrorist Operations) में मारा जाने वाला आखिरी आतंकी रियाज नाइकू था।

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सेना ने रियाज पर 12 लाख रुपए का इनाम भी रखा था। आतंकी संगठन का लीडर बनने से पहले रियाज एक गणित का टीचर था। बुरहान वानी गैंग के सफाए के बाद रियाज नायकू मोस्ट वांटेड बन चुका था। उसे पकड़ने के लिए काफी कोशिशें की गई। पहले उसके ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क को नेस्तनाबूद करते हुए उसके 30 खबरियों को पकड़ा गया। साथ ही उसके सभी प्रमुख ठिकानों को भी नष्ट किया गया।

रियाज नाइकू के बाद हिज्‍बुल मुजाहिदीन का टॉप कमांडर सैफुल्‍लाह भी सेना द्वारा ढेर कर दिया गया। हिज्‍बुल के टॉप कमांडर रियाज नाइकू के मारे जाने के बाद सैफुल्लाह को संगठन का चीफ बनाया गया था, जिसे नवम्बर माह की शुरुआत में ही एक ज्वाइंट ऑपरेशन के बाद ढेर कर दिया गया। सेना की लिस्ट में उसे भी A++ कैटेगरी में रखा गया था।

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इससे पहले जून के महीने ही शोपियां में हिज्बुल का टॉप कमांडर फारुक अहमद भट उर्फ नाली को भी ठिकाने लगा दिया गया था। फारूक अहमद भट ने 2015 में हिज्बुल मुजाहिदीन को ज्वॉइन किया था।

हिज्बुल के आलावा, आतंकी संगठन अल बद्र और लश्कर (LET) के आतंकवादियों का सफाया भी सेना द्वारा जमकर किया गया। जुलाई के माह ही श्रीनगर में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में भारतीय सेना ने दो आतंकियों को मार गिराया गया, जिनमें से एक इशफाक रशीद खान लश्कर-ए-तैयबा का टॉप कमांडर था, जबकि एक दूसरा आतंकी एजाज भट भी इसी आतंकी संगठन से जुड़ा था।

इशफाक रशीद खान श्रीनगर के सोजिथ इलाके का रहे वाला था और उसे 2018 में आतंकी संगठन का टॉप कमांडर बना दिया गया था। उसकी मौत के बाद कश्मीर पुलिस ने घोषणा की थी कि अब श्रीनगर जिले का एक भी आतंकी जिंदा नहीं बचा है।

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‘ऑपरेशन रंदोरी बहक’: सेना और सुरक्षाबलों के कई बड़े ऑपरेशन (Anti Terrorist Operations) सफल तो रहे लेकिन सेना ने अपने जवानों को भी खोया। ‘ऑपरेशन रंदोरी बहक’ (Operation Randori Behak) इस साल का सबसे खतरनाक और रक्त रंजित माना जाता है। अप्रैल, 2020 के ही एक दिन सुरक्षाबलों ने कुपवाड़ा में LoC पर मुठभेड़ में 5 आतंकियों को मार गिराया। इस ऑपरेशन में सेना ने अपने 5 सैनिकों को खो दिया।

तीन मुठभेड़ के दौरन और दो सैनिकों ने पास के सैन्य अस्पताल में दम तोड़ दिया। खराब मौसम के कारण जख्मी जवानों को निकालने में सेना को बहुत मश्क्कत करनी पड़ी थी। सेना ने नियंत्रण रेखा पर कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में ‘ऑपरेशन रंदोरी बहक’ शुरू किया, जो 5 दिनों तक जारी रहा और इसमें हेलीकॉप्टर और ड्रोन की मदद ली जा रही थी।

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घुसपैठ के दौरान सुरक्षा बलों से उनकी मुठभेड़ हुई, लेकिन खराब मौसम और घने जंगल का फायदा उठा कर आतंकी भाग निकलने में कामयाब हो गए थे। सेना ने अपना ऑपरेशन जारी रखते हुए पूरे इलाके की घेराबंदी करके ऑपरेशन को जारी रखा। 1 अप्रैल को नियंत्रण रेखा के पास पैरों के निशान देखे गए थे। इस जगह पर बाड़ पूरी तरह से बर्फ में डूबे हुए थे।

इसके बाद पैरों के निशानों को ही आधार बनाकर सर्च ऑपरेशन चलाया गया था। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना के विशेष बल के दस्ते का नेतृत्व सूबेदार संजीव कुमार ने किया और इसमें हवलदार डावेंद्र सिंह, पैराट्रूपर बाल कृष्ण, पैराट्रूपर अमित कुमार और पैराट्रूपर छत्रपाल सिंह शामिल थे। वे सभी इस मुठभेड़ में शहीद हो गए।

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इस साल जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल को हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकियों से पूरी तरह से मुक्त कराने के बाद सुरक्षाबलों ने श्रीनगर के डोडा इलाके को भी आतंकी मुक्त करवाया। यह जानकारी जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने दी थी। डीजीपी ने बताया है कि एक मुठभेड़ में हिज्बुल कमांडर मसूद के मारे जाने के बाद इलाका पूरी तरह से आतंकी मुक्त हो गया।

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