डोगराई की लड़ाई: … 1965 के युद्ध में जब भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तानी सीमा में किया प्रवेश

भारत ने सीमित संसाधनों के बावजूद स्ट्रेटजी बनाकर लाहौर से कुछ मील पहले डोगराई शहर पर कब्जा कर लिया था। इस युद्ध में 3 बटालियन जाट रेजीमेंट का बड़ा योगदान था।

Indian Army

फाइल फोटो

War of 1965: भारत ने सीमित संसाधनों के बावजूद स्ट्रेटजी बनाकर पाकिस्तान के लाहौर से कुछ मील पहले डोगराई शहर पर कब्जा कर लिया था। इस युद्ध में 3 बटालियन जाट रेजीमेंट का बड़ा योगदान था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तानी सेना भारत को हराने की सोच लेकर जंग के मैदान में उतरी थी लेकिन हुआ इसका उल्टा।

इस युद्ध में डोगराई की लड़ाई को भी निर्णायक लड़ाईयों में से एक माना जाता है। पाकिस्तान के लाहौर शहर के बाहरी इलाके में डोगराई गांव के क्षेत्र में यह जंग हुई थी। इसी लड़ाई में हमारे वीर सपूत पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश करते हुए बाटानगर तक पहुंच गए थे।

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भारत ने सीमित संसाधनों के बावजूद स्ट्रेटजी बनाकर पाकिस्तान के लाहौर से कुछ मील पहले डोगराई शहर पर कब्जा कर लिया था। इस युद्ध में 3 बटालियन जाट रेजीमेंट का बड़ा योगदान था। जाट रेजीमेंट के अलावा 15 डोगरा बटालियन और 13 पंजाब बटालियन ने भी युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।

भारत के 500 सैनिक 18 दिन तक पाकिस्तान के डोगराई शहर में मौजूद 9000 सैनिकों पर ऐसे टूटे कि वे मैदान छोड़कर ही भाग खड़े हुए। डोगराई की लड़ाई 20 से 22 सितंबर तक लड़ी गई थी। 

सेनाध्यक्ष जनरल चौधरी के विशेष सहायक रहे जनरल वीएन शर्मा ने उन दिनों को याद करते हुए बताया है कि युद्ध विराम से पहले भारतीय सैनिकों ने कड़े संघर्ष के बाद डोगराई पर दोबारा कब्जा किया था। पाकिस्तान के लाहौर से कुछ मील पहले डोगराई शहर पर कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान को इस जंग में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था।

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