फाइल फोटो।
Army Canteen: सेना की कैंटीन में शराब, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य सामान रियायती कीमतों पर बेचा जाता है। ओपन मार्केट में जो सामान होता है उसमें से कुछ भी सामान की डिमांड लाभार्थी कर सकते हैं।
भारतीय सेना के जवान हर मोर्चे पर अग्रणीय है। हमारे वीर सपूत सरहद पर परिवार से दूर रहकर कई-कई महीनों तक ड्यूटी करते हैं। केंद्र सरकार भी जवानों का पूरा ख्याल रखती है। जवानों को कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (सीएसडी) यानी आर्मी कैंटीन की सुविधा मिलती है। इस कैंटीन में जवानों के लिए सस्ती दर पर सामान उपलब्ध होता है।
थल सेना, वायु सेना और भारतीय नौसेना के जवान और ऑफिसर्स और उनके परिवार वालों के साथ ही पूर्व सैनिकों और उनके डिपेंडेंट को मिलाकर सीएसडी के करीब 1 करोड़ से ज्यादा लाभार्थी हैं। इन कैंटीन के जरिए इन्हें हर छोटा सामान बाजार कीमत से सस्ती दर पर मिल जाता है। लेह से लेकर अंडमान तक कुल 33 डिपो हैं और यूनिट रन कैंटीन (यूआरसी) करीब 3700 हैं।
आर्मी कैंटीन में विदेशी सामान भी मिलता है। सेना की कैंटीन में शराब, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य सामान को रियायती कीमतों पर बेचा जाता है। ओपन मार्केट में जो सामान होता है उसमें से कुछ भी सामान की डिमांड लाभार्थी कर सकते हैं।
इन कैंटीन्स में सालाना करीब 2 अरब डॉलर से अधिक मूल्य की बिक्री होती है। यही वजह है कि लोग खरीदारी के लिए सेना में शामिल अपने रिश्तेदारों को ढूंढते हैं। सीएसडी कैंटीन में सरकार जीएसटी कर में 50 फीसदी की छूट देती है। इन कैंटीन के जरिए कार भी खरीदी जा सकती है।
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