साल 2017 में बड़े नक्सली हमले से दहला था देश, छत्तीसगढ़ में शहीद हो गए थे CRPF के 25 जवान

जैसे ही हमला शुरू हुआ तो सीआरपीएफ जवानों और नक्सलियों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई थी। दरअसल नक्सलियों ने पहले ही जवानों की लोकेशन का पता लगा लिया था।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर

Sukma Naxal Attack 2017: जैसे ही हमला शुरू हुआ तो सीआरपीएफ जवानों और नक्सलियों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई थी। दरअसल नक्सलियों ने पहले ही 150 के करीब जवानों के दल की लोकेशन का गुप्त तरीके से पता लगा लिया था।

नक्सलियों ने साल 2017 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) की टीम पर बड़ा हमला किया था। इस हमले में 25 जवान शहीद हो गए थे। हमला छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में किया गया था। चिंतागुफा के पास बुर्कापाल में नक्सलियों ने रोड ओपनिंग पार्टी पर घात लगाकर अटैक किया था। यह हमला 23 अप्रैल को दोपहर डेढ़ बजे के करीब किया गया था।

जैसे ही हमला शुरू हुआ तो सीआरपीएफ जवानों और नक्सलियों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई थी। दरअसल नक्सलियों ने पहले ही 150 के करीब जवानों के दल की लोकेशन का गुप्त तरीके से पता लगा लिया था। इसके बाद करीब 300 नक्सलियों ने एकसाथ हमला बोल दिया था। गोलीबारी के दौरान कई नक्सलियों को भी मौके पर ढेर कर दिया गया था।  घायल जवानों को वहां से बेहतर इलाज के लिए रायपुर भेजा गया।

दरअसल नक्सलियों ने सड़क का काम बंद करवा दिया था। इसके बाद सीआरपीएफ ने रोड ओपनिंग पार्टी (आरओपी) भेजी थी। यानी कि जवान सड़क की सुरक्षा के लिए गए थे। हमले के दौरान इस पार्टी में 90 जवान शामिल थे। नक्‍सली पहले से ही घात लगाकर बैठे थे। जैसे ही जवान वहां पहुंचे उन पर फायरिंग शुरू कर दी गई।

नक्सलियों ने जवानों के हथियारों को भी लूट लिया था। सभी जवान सीआरपीएफ 74 बटालियन के थे। हमले में 6 जवान घायल भी हो गए थे। साल 2010 में सुकमा में हुए नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान मारे गए थे। ऐसे में तब से यह सीआरपीएफ पर सबसे बड़ा हमला है। दोपहर करीब 3 बजे बैकअप पार्टी घटनास्थल पर पहुंची थी।

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इस हमले के बाद पूरे बस्तर के नक्सल इलाकों में बन रही सड़कों का काम रोक दिया गया था। सीआरपीएफ के जवान कुछ हफ्तों तक सड़क निर्माण की सुरक्षा के लिए रोड ओपनिंग पार्टी के रूप में नहीं निकले थे। ऐसा हमला फिर से न हो इसके लिए सीआरपीएफ और राज्य सरकार ने कड़ी प्लानिंग की है लेकिन नक्सली देश के सबसे बड़े दुश्मन हैं और वह सुधरने का नाम नहीं ले रहे।

ऐसे में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग ऑपरेशन कर इन्हें ढेर करने की कवायद तेज है और बीते काफी समय में सेना को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। ऐसे में नक्सलियों को सफाया अब बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

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