1971 की जंग: वाइस एयर मार्शल चंदन सिंह राठौड़ की बहादुरी की कहानी, ऐसे सीमा पर मचाया था कहर

War of 1971: वाइस एयर मार्शल चंदन सिंह राठौड़ वे शख्स थे जिन्होंने सेना की दो कंपनियों को एक रात में ही मेघना नदी के पार उतार कर इतिहास रच दिया था।

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War of 1971: वाइस एयर मार्शल चंदन सिंह राठौड़ वे शख्स थे जिन्होंने सेना की दो कंपनियों को एक रात में ही मेघना नदी के पार उतार कर इतिहास रच दिया था। इस युद्ध में वाइस एयर मार्शल चंदन सिंह राठौड़ ने बेहद ही अहम भूमिका निभाई थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध में भारतीय वायुसेना ने भी अहम भूमिका निभाई थी। सीमा पार जाकर हमारे वीर सपूतों ने दुश्मनों को छलनी किया था। बेहद ही शानदार प्लानिंग के  साथ हमारे वायु योद्धाओं ने दुश्मनों की कमर तोड़ दी थी। 1971 के युद्ध का जिक्र हो और वायु योद्धाओं की बात हो तो वाइस एयर मार्शल चंदन सिंह राठौड़ की बहादुरी का जिक्र जरूर होता है।

इस युद्ध में वाइस एयर मार्शल चंदन सिंह राठौड़ ने बेहद ही अहम भूमिका निभाई थी। राठौड़ वे शख्स थे जिन्होंने सेना की दो कंपनियों को एक रात में ही मेघना नदी के पार उतार कर इतिहास रच दिया था। उन्हें युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देने के लिए वीर चक्र और महावीर चक्र से भी सम्मानित किया गया था। उन्हें वीर चक्र 1962 के युद्ध में बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए और फिर महावीर चक्र 1971 में पाकिस्तान से हुए युद्ध में एयर स्ट्राइक करने पर महावीर चक्र पुरस्कार से दिया गया।

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दरअसल 1971 के युद्ध में सेना को उस वक्त दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था जब सेना की 4 कोर ढाका में बढ़ने में असमर्थ थी। ऐसे उन्होंने कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह के साथ मेघना नदीं पर एयरो ब्रिज का निर्माण किया था। ब्रिज बनते ही सेना के जवान ढाका की तरफ बढ़ने में सफल हुए थे।

सिंह ने हेलीकॉप्टरों की मदद से लगातार फेरी लगाकर हथियार और सेना की दो कंपनियों को एक रात में मेघना नदी के पार उतार दिया था। रात के अंधेरे में सेना के करीब 3 हजार जवान मेघना नदी के पार पहुंचा दिए गए थे। इसके साथ ही 40 टन गोला बारूद भी मोर्चे पर तैनात करवा दिया गया था। बेहद ही चालाकी भरे इस राठौड़ के इस फैसले से दुश्मनों को भारी नुकसान हुआ था नतीजन पाकिस्तान ने हार स्वीकार करते हुए आत्मसमर्पण कर दिया था।

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