1965 की जंग: भारतीय सेना लाहौर तक कर सकती थी कब्जा, इस वजह से हटी थी पीछे

लड़ाई में भारतीय सेना लाहौर तक पहुंच चुकी थी लेकिन बॉर्डर पर ही रुक गई। सेना चाहती तो पाकिस्तानी के कई इलाकों पर कब्जा कर सकती थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

Kargil War 1999

फाइल फोटो।

लड़ाई में भारतीय सेना लाहौर तक पहुंच चुकी थी लेकिन बॉर्डर पर ही रुक गई। सेना चाहती तो पाकिस्तानी के कई इलाकों पर कब्जा कर सकती थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

आजादी के बाद से अबतक भारत पाकिस्तान के बीच चार बार युद्ध हुआ है। हर बार भारतीय सेना ने पाकिस्तान का जबड़ा और कमर तोड़ी है। 1965 की जंग में भी ऐसा ही हुआ था। पाकिस्तान भारत के खिलाफ युद्ध में यह सोचकर उतरा था कि 1961 में चीन ने हमें हराया है और भारत कमजोर है। पाकिस्तान की यह सोच उसे भारी पड़ गई थी। सेना ने हर मोर्चे पर दुश्मन को ठिकाने लगाया।

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने कश्मीर हड़पने के बहुत बड़ी साजिश रची थीं जिसे जवानों ने हर मोर्चे पर फेल कर दिया था। दुश्मनों ने 8 सितंबर 1965 को खेमकरण सेक्‍टर के उसल उताड़ गांव पर धावा बोल दिया था। ये हमला पैदल सैन्य टुकड़ी के साथ पैटन टैंक के साथ किया गया था। कश्मीर हड़पने का पाक सेना का यह एक बड़ा ही दुस्साहसी प्लान था।

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इस लड़ाई में भारतीय सेना लाहौर तक पहुंच चुकी थी लेकिन बॉर्डर पर ही रुक गई। सेना चाहती तो पाकिस्तानी के कई इलाकों पर कब्जा कर सकती थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया। दरअसल युद्ध के दौरान जैसे-जैसे सेना आगे बढ़ती गई पाकिस्तानी सैनिक ढेर होते चले गए। एक वक्त ऐसा आया जब हमारी सेना लाहौर बॉर्डर पर खड़ी थी। पाकिस्तान ने कुछ भी हरकत नहीं की जिस वजह से सेना ने सोचा की कहीं ये दुश्मन की चाल तो नहीं।

लिहाजा सेना ने अपने कदम पीछे हटा लिए और पाकिस्तान के लाहौर पर चढ़ाई नहीं की। हालांकि उस दौरान ऐसे खूब खबरें उड़ीं की भारतीय सेना ने लाहौर पर कब्जा कर लिया है। पाकिस्तान के होश तब उड़ गए जब बीबीसी ने खबर चला दी की भारतीय सेना तो लाहौर के जिमखाना क्लब में पहुंच कर पटियाला पैग लगा रही है। पर सेना का ऐसा इरादा नहीं था।

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