सिद्धार्थ के परिवार के लोग चार पीढ़ियों से फौज में हैं। पिता जगदीश खुद फौज में थे। जगदीश के पिता और दादा भी फौज में रहे हैं।

विंग कमांडर अभिनंदन और कैप्टन के. नचिकेता की कहानी एक जैसी ही है। करगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना के कैप्टन के. नचिकेता को पाकिस्तानी सेना ने बंदी बना लिया था।

सीआरपीएफ, सेना और राज्य पुलिस ने कल सुबह ही आतंकियों के साथ एनकाउंटर शुरू किया था। जिसके उपरांत दो आतंकी मार गिराए गए। कश्मीर में जगह जगह आतंकियों की तलाश जारी है

‘नेत्र’ की विशेषता है कि यह दुश्मन की मिसाइल और विमान को जमीन, समुद्र और आकाश में सैकड़ों किलोमीटर के दायरे में ढूंढ निकालने में सक्षम है। जिस वक़्त मिराज विमान पाकिस्तानी आतंकियों के कैंपों को ध्वस्त कर रहा था, उस वक्त ‘नेत्र’ खाली इलाकों में इन विमानों को राडार कवरेज मुहैया करा रहा था।

बिहार के रजौली में हुए मुठभेड़ में नक्सलियों ने पाकिस्तान में निर्मित एके-47 की गोलियों का इस्तेमाल क्या था। आखिर किस रास्ते से दुश्मन गोला-बारूद भेज रहा है और देश के कौन-कौन से संगठन इस खेल में शामिल हैं?

देवकी शर्मा नाम की महिला चौराहे पर भीख मांगा करती थीं, इन्होंने भीख मांग कर 6 लाख रुपया इकट्ठा कर रखा था। 14 फरवरी को पुलवामा में CRPF के काफिले पर हुए आतंकी हमले के कारण देवकी काफ़ी शोक में थीं। इसलिए अपनी जमा राशि शहीदों के परिजनों को दान कर दिया।

पाकिस्तान आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह घिर गया है।दोनों देशों के बीच पैदा हुए हालिया तनाव का बड़ा असर कारोबार पर ही पड़ता दिख रहा है। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर मुल्क पाकिस्तान का भारी नुकसान हो रहा है।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 330 किलोमीटर दूर बसा यह गांव राष्ट्रसेवा में हमेशा आगे रहा है। इस गांव से लगभग पचास लोग सेना और अर्धसैनिक बल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

एक समय में बीहड़ में आतंक का पर्याय रहे डकैत मलखान सिंह भले ही अपनी बंदूक छोड़ चुके हों लेकिन पुलवामा घटना से वे इतने आहत हुए हैं कि उन्होंने ऐलान किया है कि सरकार यदि अनुमति दे तो हम पाकिस्तान को धूल चटा देंगे।

पति की शहादत का जख्म अभी भरा ही नहीं था कि नवजात बच्चे को भी आगे चलकर भविष्य में सेना में भेजने की बात बड़े गर्व से कर रही हैं। यही तो सच्ची राष्ट्रभक्ति है।

यही तो इस मुल्क की खूबसूरती है, यही तो यहां की परम्परा और संस्कृति रही है। लोग अपने दुखों को भूल कर हमेशा दूसरों के दुख-दर्द में शामिल हो जाते हैं।

पुलवामा के मास्टरमाइंड कामरान को मारकर सुरक्षा बलों ने शुरुआती बदला लेकर साफ कर दिया है कि अब तो आतंकवाद पर ज़ीरो टॉलरेंस की नीति ही चलेगी।

शहीद मेजर चित्रेश सिंह बिष्ट 7 मार्च को होनेवाली अपनी शादी के लिए 28 फरवरी को घर आने वाले थे। आतंकवाद का दिया इससे बड़ा ज़ख्म और क्या हो सकता है। परिवार जहां बेटे के शादी में आने का इंतज़ार कर रहा था, आज पार्थिव शरीर का इंतज़ार कर रहा है।

अश्विनी का परिवार बहुत ग़रीब है। उनके माता-पिता और तीन भाई दिहाड़ी मजदूरी करके परिवार का खर्च चलाते हैं। इस वर्ष के अंत में उनकी शादी होने वाली थी।

सरकार ऐसा कदम उठाए, जिससे दोबारा फिर कभी भी किसी जवान को इस तरह से अपनी जान ना गंवानी पड़े।

शहीद रमेश यादव के बेटे आयुष का पैर जन्म से ही टेढ़ा है, जिसका इलाज कराना है। पर डेढ़ साल के बेटे को क्या पता था कि पापा की जगह उनके शहादत की ख़बर आएगी। बेटे का इलाज कराने का वादा करके निकले रमेश को नहीं पता था कि वह अब कभी वापस नहीं आयेंगे।

तक़दीर का फैसला देखिए कि नसीर ख़ुद बचपन में अनाथ हो गए थे और आज इनके दोनों बच्चे भी अनाथ हो गए।

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