कुछ दिनों तक वो झारखंड के बीहड़ों में भटकता रहा और फिर एक दिन झारखंड और छत्तीसगढ़ के सीमाई जंगली इलाके में उसकी मुलाकात श्रीधर नाम के शख्स से हुई।

शहादत के वक्त परिवार से बड़े-बड़े वादे किए गए थे। सरकारी नौकरी और तमाम तरह की सुविधाओं की भी बात कही गई थी। लेकिन वादे अधूरे रह गए। आज परिवार पर रोजी-रोटी का संकट है।

नक्सली संगठनों की स्थिति ठीक नहीं है...संगठन अपने सिद्धांतों से भटक चुके हैं। वे अब कमजोर पड़ चुके हैं। लेवी के पैसों को लेकर संगठन के अंदर ही विवाद है...संगठन में महिलाओं का शोषण किया जाता है।

एक गलत फैसले से उसकी पत्नी पुनीता देवी की पूरी जिंदगी ही नर्क बन गई है। पुनीता देवी का कहना है कि बहुत साल पहले वो एक बार कर्म डी के जंगलों में प्रदीप से मिली थीं। उस वक्त भी उन्होंने प्रदीप से कहा था कि वो मुख्यधारा में लौट आए।

भूरे बाल और हरे रंग के यूनिफॉर्म में 5 फुट 5 इंच के इस नक्सली को देखने के लिए वहां लोगों की भीड़ जमा थी। कुंदन पाहन सीपीआई माओवादियों का कमेटी सेक्रेट्री रहा था।

पुलिस ने नक्सल ठिकानों से एक एलएमजी, एक एके-47, एक SLR, 3 इंसास, 6 रायफल, 7 वॉकी टॉकी, 3347 राउंड कारतूस, 32 मैगजीन, 10 बंडल कोडेक्स वायर और 20 थान काला सूती कपड़ा सहित अन्य सामान बरामद किए हैं।

कभी हक के लिए हथियार उठाने वाले नक्सली अब अपराधियों का संगठित गिरोह बन चुके हैं। ऐसे अपराधी जिनका काम सिर्फ लूट-पाट और हिंसा फैलाना रह गया है। लोकतंत्र में विश्वास है नहीं और विकास से डर लगता है इन्हें।

ललिता जब ब्याह कर अपने ससुराल आई तो सब कुछ ठीक था। रवींद्र घर पर ही रहता था। दिन हंसी-खुशी गुजर रहे थे। बमुश्किल महीना भर ही गुजरा होगा कि एक दिन गंजू लापता हो गया। फिर करीब डेढ़ महीने बाद घर लौटा तो बताया कि पार्टी के काम के सिलसिले में गया था।

मुंबई में वेटर की नौकरी के दौरान शोषण से तंग आकर नक्सली बना। एक महिला नक्सली से प्रेम विवाह किया। हिंसा से इतनी मोहब्बत हो गई कि उसके लिए अपनी पत्नी को तलाक दे दिया। फिर खुद नक्सलियों के शोषण से आजिज आकर 25 लाख रुपए के इस वांटेड नक्सली ने सरेंडर कर दिया।

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