जब दूसरे विश्वयुद्ध में भारत से सहायता लेने के बाद भी जब अंग्रेजों ने भारत को आजाद करने का अपना वादा नहीं निभाया तो गांधी जी ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की शुरुआत की।

सौरभ कालिया की उम्र उस वक्त 23 साल थी और अर्जुन राम की महज 18 साल। कैप्टन सौरभ कालिया सेना में नियुक्ति के बाद अपनी पहले महीने की सैलरी भी नहीं उठा पाए थे।

राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते कानून मंत्री शिव शंकर ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखर नेता सोमनाथ चटर्जी से कहा कि सरकार उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाना चाहती है। विपक्ष के बड़े नेता को सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की पेशकश मिलना बड़ी बात थी।

महाराष्ट्र में घर-घर में मनाए जाने वाले गणेश महोत्सव को तिलक ने घरों से बाहर मनाने की अपील की। इसी बहाने लोगों को एक साथ जागरुक और संगठित किया जा सकता था। तिलक का विचार काम कर गया।

हाईस्कूल की पढ़ाई के लिए वो कानपुर आ गए। कानपुर शहर में ही उनकी मुलाकात चंद्रशेखर आजाद से हुई। उन दिनों चंद्रशेखर आजाद झांसी, कानपुर और इलाहाबाद के इलाकों में अपनी क्रांतिकारी गतिविधियां चला रहे थे।

Rajesh Khanna Death Anniversary: राजेश खन्ना की आंख झपकाने, गर्दन टेढ़ी करने की अदा पर उस समय में युवा फिदा हुआ करते थे। उनके द्वारा पहने कुर्ते और पैंट युवाओं में फैशन हुआ करते थे। युवा लड़कियों की लिपस्टिक के निशान राजेश खन्ना की कार पर उकेरे हुए मिलते थे।

अरुणा ने परिवार वालों की मर्जी के खिलाफ अपने से 23 वर्ष बड़े और गैर ब्राह्मण समुदाय से संबंधित आसफ अली से प्रेम विवाह किया। आसफ अली इलाहाबाद में कांग्रेस पार्टी के नेता थे।

1967 के बाद वे अभिनय से नाता तोड़कर पूरी तरह घर-गृहस्थी में रम गईं थीं। कभी लाखों फिल्मी दर्शक के दिल पर राज करने वाली हीरोइन बीना राय अंतिम समय में मुंबई के मालाबार हिल स्थित अनीता भवन में बेटे मोंटी के साथ रहती थीं।

जंजीर की सफलता के बाद अमिताभ और प्रकाश मेहरा की सुपरहिट फिल्मों का कारवां काफी समय तक चला। इस दौरान लावारिस, मुकद्दर का सिकंदर, नमक हलाल, शराबी, हेराफेरी जैसी कई फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता का परचम लहराया।

भारत से दो लोग धर्म संसद में भेजे गए थे। ब्रह्म समाज की ओर से मजूमदार और थियोसोफिकल सोसायटी की तरफ से श्रीमती ऐनी बेसेंट। लेकिन हिन्दू धर्म की ओर से कोई प्रतिनिधि नहीं था। स्वामी जी हिन्दू धर्म के प्रतिनिधि तो थे लेकिन भारत से बाकायदा नामित करके भेजे गए प्रतिनिधि नहीं, स्वेच्छा से जाने वाले एक आगंतुक अतिथि के समान।

राजकुमार जिस पुलिस स्टेशन में तैनात थे वहां अक्सर फिल्म इन्डस्ट्री के लोग आते-जाते रहते थे। एक बार फिल्म निर्माता बलदेव दुबे किसी काम से वहां आए हुए थे। राजकुमार के बात करने के अंदाज से वो इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी आने वाली फिल्म का ऑफर दे दिया।

अपने प्राणों की चिंता न करते हुए अब्दुल हमीद ने अपनी "गन माउन्टेड जीप" को एक टीले के समीप खड़ा कर दिया और गोले बरसाते हुए शत्रु के तीन टैंक ध्वस्त कर डाले। वीर हमीद की शहादत ने यह सन्देश भी दिया कि केवल साधनों के बलबूते युद्ध नहीं जीता जाता।

देश और समाज के लिए की गई उनकी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1961 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मनित किया।

पीटी उषा ने 1985 में जकार्ता में हुए खेलों में कुल 6 पदक जीते, जिसमें 5 गोल्ड और एक ब्रांज मेडल शामिल है। यह सफर यहीं नहीं थमा और 1983 से 1989 के बीच हुई प्रतियोगिताओं में उन्होंने 13 गोल्ड मेडल अपने नाम किए।

लता का आरडी के पिता एसडी बर्मन से विवाद चल रहा था। लता उनके घर नहीं जाना चाहती थीं। पंचम दा चाहते थे कि लता उनके घर आकर रिहर्सल करें। लता ने आरडी के सामने शर्त रखी कि वे जरूर आएंगी, लेकिन घर के अंदर पैर नहीं रखेंगी।

वंदे मातरम् में आने वाले शब्द दशप्रहरणधारिणी, कमला कमलदल विहारिणी और वाणी विद्यादायिनी..... भारतीय संस्कृति की अनुपम व्याख्या करते हैं।

यश जौहर के इस हुनर से बेहद इंप्रेस थीं मधुबाला। फिर मधुबाला के चलते ही मुंबई में इनकी पहली नौकरी लगी।

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