Kargil War 1999: मिराज-2000 की भीषण बमबारी से थर-थर कांप उठी थी पाकिस्तानी सेना
Kargil War 1999: 16,700 फीट ऊंची टाइगर हिल पर कब्जा करने की कोशिश में ही यह हमले किए गए थे। यह पहला मौका था जब इतनी ऊंचाई पर इस तरह के हथियार का इस्तेमाल हुआ था।
India Pakistan War 1965: …जब पठानकोट एयर बेस के पास उतरे 60 पाकिस्तानी कमांडो
India Pakistan War 1965: पाकिस्तानी जवानों का टारगेट था कि तीन भारतीय हवाई अड्डों हलवारा, आदमपुर और पठानकोट पर रात के अंधेरे में पैराशूट के जरिए उतरा जाए।
India Pakistan War 1971: ढाका पर कब्जा करना सेना के प्लान में शामिल क्यों नहीं किया गया था? ये थी वजह
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध (India Pakistan War 1971) में भारतीय सेना का पराक्रम देखने को मिला था। इस जंग में हार के चलते पाकिस्तान की पूरी दुनियाभर में बेइज्जती हुई थी।
…जब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी पायलट परवेज कुरैशी को पकड़ा
Indian Army: भारतीय सैनिकों ने बड़े दिल का परिचय दिया था और घायल पायलट के इलाज के लिए तुरंत डॉक्टर को बुलाया था। दरअसल यह घटना 22 नवंबर, 1971 की थी।
वीर चक्र विजेता जयराम सिंह: मिला था तोलोलिंग पहाड़ी से दुश्मनों को खदेड़ने का काम, जानें कैसा था अनुभव
कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान कई सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय दिया था। अपनी जान की बाजी लगाकर दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर इन जवानों ने देशप्रेम और बहादुरी का परिचय दिया था।
दुश्मन को उलझाए रखने की भी होती हैं कई ट्रिक्स, जीत के लिए हथियार से ज्यादा जरूरी है चालाकी
सेना के सीनियर अधिकारियों द्वारा ऐसी रणनीतियों पर काम होता है। लेकिन जंग के मैदान में सीनियर अधिकारी नहीं बल्कि निचली रैंक के जवान होते हैं।
कारगिल युद्ध के दौरान ऐसा था हवलदार मुश्ताक अली का अनुभव, आंखों के सामने साथियों ने तोड़ा था दम
'मेरी आंखों के सामने राजपूत रेजीमेंट के तीन जवान शहीद हो गए। उन दिनों सिर्फ मौत का खतरा मंडराया रहता था लेकिन देशसेवा का इससे बड़ा मौका हमें नहीं मिलने वाला था।'
Indian Army के जवान अपनाते हैं छापेमारी की रणनीति, दुश्मनों के उड़ जाते हैं होश
सेना द्वारा अबतक कई बार इस रणनीति का इस्तेमाल कर आतंकवादियों और पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर किया जा चुका है। यह कोई आसान रणनीति नहीं होती क्योंकि दुश्मन भी अपनी सुरक्षा के लिए चौकस रहते हैं।
एयरबेस के जरिए तुरंत दुश्मन पर बरपाया जाता है कहर, जानें इसकी खासियत
विमानों के जरिए आसमान में 400 से 500 किमी दूर तक की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है। पाकिस्तान हो या चीन, भारत में रहकर ही इनकी हवाई निगरानी की जाती है।
Kargil War: युद्ध बंदी भारतीय सैनिकों को दी गईं यातनाएं, पाक ने कर दी थी जुल्म की हद पार
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में भीषण युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से पटखनी दी गई थी। पाकिस्तान को हराकर हमारे सैनिकों ने उन सैनिकों की शहदात का बदला लिया था
Kargil War: इन भारतीय जवानों पर पाकिस्तान की बर्बरता के चलते छिड़ी थी जंग
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हराया गया था। सेना (Indian Army) किसी भी विपरीत परिस्थिति के लिए हमेशा तैयार रहती है।
…जब युद्ध से पहले ही पाक सैनिकों और आतंकियों ने कारगिल के ऊंचे इलाकों पर कर लिया कब्जा
पाकिस्तानी सेना कई गुना फायदे में थी, क्योंकि हमारे जवान नीचे से ऊपर की ओर चढ़ाई कर लड़ने आ रहे थे। दुश्मनों के पास पहुंचने के लिए कई-कई किलोमीटर चढ़ाई करनी पड़ी थी।
…जब पाक को लगा वह श्रीनगर से कश्मीर के राजा को भगाकर कर लेगा कब्जा
India Pakistan War of 1948: पाकिस्तान का ऐसा सोचना ही उसे भारी पड़ गया था। पाकिस्तान ने तब कश्मीर में घुसपैठ कर कबायलियों के जरिए आतंक मचा दिया था।
Kargil War: 1999 का युद्ध और 26 जुलाई को भारतीय सेना का कब्जा
युद्ध में उस वक्त बड़ा मोड़ आया जब पाकिस्तान ने अपनी खस्ता हालत देख अमेरिका से मदद मांगी थी। हालांकि तब अमरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान को एलओसी से पीछे हटने के लिए कहा था।
कारगिल युद्ध: भारत के लिए संकट मोचक बनकर उभरा था इजराइल
भारतीय सेना (Indian Army) ने जंग में दुश्मन का सामना करने के लिए मिराज विमानों में इजराइली किट का इस्तेमाल किया था, जिसे इजरायल (Israel) लिटनिंग लेजर डिजाइनर पॉड कहते हैं।
Kargil War: …जब इजरायल ने बड़ी ताकतों के दबाव के बावजूद की थी भारत की मदद
इजरायल (Israel) सीमा नियंत्रण और आतंकवाद का मुकाबला करने में प्रौद्योगिकी और अनुभव वाला देश है। इजरायल का बीते कई दशकों से फ्लीस्तीन के साथ सीमा विवाद चल रहा है।
कारगिल युद्ध: रूस ने की थी भारत की मदद, किए थे हथियार सप्लाई
Kargil War: किसी भी जंग को जीतने के लिए बेहतर क्वालिटी के हथियारों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। ऐसे हथियार रूस के पास थे और उन्होंने हमें दिए।