India Pakistan War 1965: …जब वीर सपूतों ने पाक सैनिकों से उठवाया सामान
पाकिस्तान सैनिक भारी मात्रा में गोला बारूद लेकर आए थे लेकिन हाजीपीर पर भारतीय सैनिकों के नियंत्रण के बाद वे वहां से भाग खड़े हुए थे।
कारगिल युद्ध से पहले भारत-पाकिस्तान के बीच क्या चल रहा था? कैसे बढ़ा संघर्ष
Kargil War: 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई सैन्य संघर्ष होते रहे। दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण की वजह से भी तनाव और बढ़ गया था।
कारगिल युद्ध में चुनौतियां थीं बड़ी, पर सेना के हौसलों के आगे सारी हुईं पस्त
पाकिस्तान जिन पोस्टों पर था वहां से सैनिकों के मूवमेंट और स्ट्रैटजी को पहले ही जाना जा सकता था। पाकिस्तान ने कारगिल के ऊंचाई वाले सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों पर धोखे से कब्जा किया हुआ था।
Kargil War: जब 80mm की तोप से लैस तीन विमानों ने की थी ताबड़तोड़ बमबारी
सेना के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती थी कि वे इन पोस्टों को अपने कब्जे में वापस कैसे ले। पाकिस्तान जिन पोस्टों पर था वहां से सैनिकों के मूवमेंट और स्ट्रैटजी को पहले ही जाना जा सकता था।
कारगिल लड़ाई में बोफोर्स तोपें सेना के खूब काम आई थीं, जानें इनकी खूबी
बोफोर्स तोपें 27 किलोमीटर की दूरी तक गोले दाग सकती हैं। हल्के वजन के वजह से इसे युद्धभूमि में कही भी तैनात करना और यहां-वहां ले जाना आसान होता है।
Kargil War 1999: करीब 2 लाख सैनिकों के कंधों पर था ‘ऑपरेशन विजय’ का जिम्मा
युद्ध के दौरान बतरा टॉप, टाइगर हिल, तोलोलिंग टॉप पर करगिल युद्ध के दौरान की ऊंची बर्फीली चोटियों पर छुपकर बैठे दुश्मन को भारतीय सेना के वीर जवानों ने अपनी जान पर खेलकर मार भगाया था।
India Pakistan War 1971: सरेंडर के वक्त जनरल नियाजी की आंखों में थे आंसू, ऐसा था माहौल
सेना ने 13 दिन के भीतर ही पाक सैनिकों को घुटनों पर ला दिया था। जब पाकिस्तान सेना सरेंडर कर रही थी तो पाकिस्तानी जनरल नियाजी की आंख में आंसू थे।
1971 का युद्ध: इन इलाकों पर बढ़ गया था पाकिस्तान का अत्याचार, ऐसे बना था बांग्लादेश
पूर्वी हिस्से (आज का बांग्लादेश) को पश्चिम में बैठी केंद्र सरकार अपने तरीके से चला रही थी। उन पर भाषाई और सांस्कृतिक पांबदियां थोप दी गई थीं।
भारत ने आखिर क्यों 1971 के युद्ध के बाद 93,000 पाकिस्तानी युद्धबंदियों को रिहा किया? जानें वजह
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण युद्ध (War of 1971) लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी हार का सामना करना पड़ा था। इसके साथ ही पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया था।
1971 के युद्ध में साइकिल का भी हुआ था इस्तेमाल, ये थी वजह
हथियारों के साथ ही साइिकल की मदद से सेना ने यह लड़ाई जीती थी तो कहना गलत नहीं होगा। जंग के मैदान में हथियारों के अलावा दिमाग के घोड़े भी दौड़ाने होते हैं।
‘तिरंगे में लिपटकर लौटूंगा, पर वादा है कि दुश्मनों को भी जिंदा नहीं छोड़ूंगा’- जवान सुरेंद्र ने मां से कही थी ये बात
Indian Army: कुछ सैनिक ऐसे थे जो जंग के मैदान में शहीद हो गए थे। ऐसे ही एक जवान सुरेंद्र भी थे। सुरेंद्र ने अपने साथियों के साथ ऐसा हमला किया कि पाक के करीब 20 जवान मौके पर ही ढेर हो गए थे।
वायु सेना के पायलटों के युद्धबंदी बनने के चांस ज्यादा क्यों होते हैं?
किसी भी युद्ध में वायुसेना की अहम भूमिका होती है, पर उनके युद्धबंदी बनने का भी खतरा ज्यादा होता है क्योंकि पायलट दुश्मन की जमीन पर जाकर बमबारी करते हैं।
एयर मार्शल अर्जन सिंह: वे शख्स जिन्होंने 1965 के युद्ध का नेतृत्व किया था
अर्जन सिंह भारतीय वायुसेना के एकमात्र ऐसे अधिकारी रहे जो पांच सितारा रैंक तक पदोन्नत हुए थे। यह पद भारतीय थलसेना के फील्ड मार्शल के बराबर है।
Kargil War: भारत-पाकिस्तान की वह लड़ाई जिसकी तस्वीरें देश के घर-घर में पहुंचीं
Kargil War: कई तस्वीरें तो ऐसी थीं जिसमें जवान कंधों पर हथियार और सामान लादकर कई-कई किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई करते नजर आए थे।
India Pakistan War 1971: …जब पाकिस्तान की सबसे बड़ी पनडुब्बी पीएनएस गाजी ने ली जलसमाधि
युद्ध में यह पनडुब्बी भारत की आईएनएस राजपूत से लोहा लेते हुए स्वतः नष्ट हो गई थी। हालांकि बताया यह भी जाता है कि अपने खानों में हुए आकस्मिक विस्फोट के कारण पीएनएस गाजी खुद ही नष्ट हो गई थी।
इस तरह तोलोलिंग के लिए हुआ था प्लान तैयार, 1999 की जीत का अहम हिस्सा रही ये फतह
कारगिल की लड़ाई में तोलोलिंग की जीत बहुत जरूरी थी तो गलत नहीं होगा। यह सामरिक रूप से बेहद ही महत्वपूर्ण जगह थी। सेना इस पर लगातार फतेह की कोशिश कर रही थी।
सियाचिन: जहां सांस लेनी भी बहुत मुश्किल, विजिबिलिटी शून्य से भी नीचे; फिर भी डटे रहते हैं जवान
Siachen: करीब 23000 फीट की ऊंचाई पर 75 किलोमीटर लंबे और करीब दस हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले सियाचिन ग्लेशियर के कई इलाके बेहद ही दुर्गम हैं।