India-China LAC Clash: चीन से बदले अंदाज में निपटने का वक्त आ गया है!

इस जगह की यानी गलवान रैली की स्ट्रैटेजिक इंर्पोटेंस आज से नहीं 1962 से है। 1962 में भी यहां पर चीन ने हमला किया था और वहां पर हमारी भी कुछ कैजुअल्टीज हुई थी और हम से ज्यादा चीन की कैजुअल्टीज हुई थी।

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Sanjeev Srivastava with Rt. Lt. General Shankar Sahab

नमस्कार स्वागत है आपका सिर्फ सच में और चीन भारत विवाद पर आज मेरे साथ जुड़े रहे हैं बहुत ही वरिष्ठ सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल शंकर प्रसाद साहब। जो गोरखा राइफल्स में रह चुके हैं। जहां-जहां चीन के साथ हमारे इंगेजमेंट हैं वहां वहां इन्होंने अपनी सर्विस दी है। हमारे साथ जुड़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया लेफ्टिनेंट जनरल शंकर प्रसाद साहब।
यह गलवान रैली पर जो विवाद चल रहा है हमारी तरफ से 20 लोग हताहत हुए हैं शहीद हुए हैं और चीन के साइड में भी शायद कुछ कैजुअल्टीज हुई है, इस एरिया की स्ट्रैटेजिक सिग्निफिकेंट क्या है? जिसकी वजह से दोनों तरफ से इतना मोर्चा डट गया है।

लेफ्टिनेंट जनरल शंकर प्रसाद:- देखिए इस जगह की यानी गलवान रैली की स्ट्रैटेजिक इंर्पोटेंस आज से नहीं 1962 से है। 1962 में भी यहां पर चीन ने हमला किया था और वहां पर हमारी भी कुछ कैजुअल्टीज हुई थी और हम से ज्यादा चीन की कैजुअल्टीज हुई थी। इस इलाके की स्ट्रैटेजिक इंर्पोटेंस यह है कि यह ‘काराकोरम पास’ के करीब है जहां से चीन का हाईवे निकलता है जो करीब 4000 किलोमीटर तक है और काराकोरम को पर करके तिब्बत तक जाता है। यह सड़क बहुत मायने रखती है वन रोड वन बेल्ट के लिए। यह सड़क बहुत मायने रखती है चीन पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर के लिए और जब से भारत ने यह कहना शुरू किया है की अक्साई चीन हमारा है और हम इसे लेंगे, अब लेंगे या नहीं लेंगे कब लेंगे खैर यह तो बाद की बात है, लेकिन इससे भी चीन को यह लग रहा था कि यह इंडिया के एजेंडे में आज नहीं तो कल या परसों हो सकता है। तो चीन यह चाहता है कि वह इस इलाके को थोड़ी डेफ्थ दे दूं जिससे भारतीय सेना इस सड़क को अंडरटेक ना कर पाए।

 

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