Naxal

नक्सल प्रभावित इलाकों की समस्याओं से लोहा लेने के लिए आरपीएफ (RPF) अब कमांडोज तैयार कर रही है।

बिहार के समस्तीपुर जिले के दलसिंहसराय से पुलिस ने एक कुख्यात नक्सली अमरनाथ सहनी की पत्नी और उसके साथी को गिरफ्तार किया है।

झारखंड के पलामू जिले में पुलिस मे नक्सलियों के नापाक इरादों को नाकाम कर दिया है। माओवादियों द्वारा लगाई गईं 5-5 किलोग्राम की दो केन बम का समय रहते पता लगाकर पुलिस ने इन्हें डिफ्यूज कर दिया जिससे नक्सली हमले की कोशिश नाकाम हो गयी।

नक्सली विकास के सबसे बड़े दुश्मन हैं। अमन-चैन और खुशहाली से उनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। इसी बात को नक्सलियों ने फिर साबित किया है।

शहर में रहकर बड़े नक्सली कमांडर के लिए करते थे मुखबिरी का काम, साथ ही नक्सलियों के लिए वसूलते थे। पुलिस ने तीनों को किया गिरफ्तार।

कुछ दिन पहले बेदरे पुलिस ने इंद्रावती नदी के पार एक ऑपरेशन चलाकर कुछ नक्सलियों को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद से ही नक्सली बौखलाए हुए थे।

टीएसपीसी झारखंड में सक्रिय एक उग्रवादी संगठन है जिसका काम ठेकेदारों से लेवी और फिरौती लेना है। शर्त नहीं मानने पर सजा-ए-मौत अथवा अपहरण इस संगठन का एक तरीका है। यह संगठन झारखंड पुलिस के लिए एक बड़ा सिर दर्द बना हुआ है।

वीर शहीद जवान की मां ने कहा, 'आने वाले समय में भी हम अपने पुत्रों को पुलिस विभाग में भेजते रहेंगे'।

इस घटना में कुख्यात जीवन कंडुलना और सुरेश मुंडा दस्ते का हाथ

ब्रजलाल पहले नक्सली संगठन का सदस्य था, लेकिन बाद में उसने संगठन को छोड़ दिया। 5 साल पहले उसने सरेंडर कर दिया था।

अब गोली के साथ नक्सलियों के खिलाफ पुलिस 'बोली' का इस्तेमाल भी करेगी। जी हां, आप इसे पुलिस का 'मास्टर प्लान' भी कह सकते हैं।

नक्सली गुड्डी के मारे जाने के बाद नक्सलियों ने अपने ही कमांडर मंगल पर पुलिस के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया था।

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने समाजवादी पार्टी के उपाध्यक्ष की हत्या कर दी। जानकारी के मुताबिक, राज्य के बीजापुर जिले में नक्सलियों ने 18 जून की शाम को सपा नेता संतोष पुनेमा का अपहरण कर लिया था।

नक्सलियों के निशाने पर पुलिस बल ही था, लेकिन समय पर सूचना मिली और माओवादियों की योजना को नाकाम कर दिया गया।

करीब 4 घंटे तक दोनों ओर से चली फायरिंग में जवानों ने एक महिला नक्सली को मार गिराया।

इस रियल कहानी का असल किरदार जब मर जाता है तब सामने आती है उसके बचपन की वो कहानी जो एकदम हिंदी फिल्मों की तरह लगती है।

इस ऑपरेशन में बिना किसी मुखबिर की सूचना के ही टीम ने जंगल में मिल रहे सुरागों के आधार पर काम किया।

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