Jammu kashmir

लश्कर (Lashkar-e-Taiba) के इस आतंकी हाफिज ने ही पिछले महीने बांदीपोरा में दो पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी और उसके बाद से ही श्रीनगर के हरवान इलाके में भाग आया था। 

शुरुआती फायरिंग में ही सुरक्षाबलों की टीम में शामिल दो पुलिसकर्मी घायल हो गये, जिन्हें उपचार के लिए फौरन अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान ही एक पुलिसकर्मी ने दम तोड़ दिया।

गिरफ्तार आतंकी सहयोगियों की पहचान आदिल अली निवासी आचन और आसिफ गुलजार निवासी हाजीदरपोरा के रूप में हुई है। पुलिस ने इनके कब्जे से कई आपत्तिजनक चीजें बरामद की है।  

सोमवार को अनंतनाग के अरवानी इलाके में आतंकियों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के बंकर को निशाना बनाया। आतंकियों ने जो हैंड-ग्रेनेड फेंका वह एक खाली जगह पर जाकर गिरा, जिससे किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ।

दक्षिण कश्मीर में शनिवार को सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच यह तीसरी एनकाउंटर थी। इससे पहले शनिवार को शोपियां और पुलवामा में हुई एनकाउंटर में दो-दो दहशतगर्द (Terrorist) मारे गए थे।

एक दिन पहले ही राज्य में एक घंटे के अंतराल पर दो आतंकी हमले हुये थे। जिसमें जम्मू कश्मीर पुलिस के एक असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर के अलावा एक आम नागरिक की मौत हो गई थी।

जम्मू कश्मीर में हुये इस आंतकी हमले पर अफसोस जताते हुये ले. जनरल मनोज सिन्हा ने बताया कि इन हमलों में शामिल आतंकियों के खिलाफ जल्द कार्रवाई की जायेगी।

रेडवानी इलाके में सुरक्षाबलों का सर्च ऑपरेशन चल रहा था, इसी दौरान आतंकियों (Terrorists) ने जवानों पर फायरिंग कर दी। जवाबी कार्रवाई के बाद ये छानबीन मुठभेड़ में बदल गई और सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को मार गिराया।

इस हमले से आहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकी हमले का ब्योरा मांगा और शहीद सुरक्षाकर्मियों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना जाहिर की।

मारे गए आतंकी की पहचान अभी नहीं हो सकी है। फिलहाल पुलवामा में यह मुठभेड़ जारी है और 2-3 आतंकियों (Militants) के छिपे होने की सूचना है।

गिरफ्तार आतंकी की पहचान तौफीक काबू के तौर पर हुई है जो सोपोर के आरामपोरा का रहने वाला है। वहीं उसके सहयोगी की पहचान तकियाबल गांव के निवासी बिलाल अहमद उर्फ कालू के तौर पर हुई है।

राजोरीकदल में तैनात जवानों पर किये गये आतंकी हमले में एक ट्रैफिक पुलिस का जवान घायल हो गया। जिसे फौरन अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है।

कस्बा यार इलाके में रुक-रुक कर सुरक्षाबलों और आतंकियों (Terrorists) के बीच फायरिंग होती रही। जवानों ने आतंकियों के ठिकाने को चारों तरफ से घेर लिया है और बार-बार उन्हें सरेंडर करने की अपील भी की गई।

इस मुठभेड़ में मारे गये तीनों आतंकी (Terrorists) लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) के सदस्य थे, जो पिछले कई महीनों से घाटी में हो रही टारगेट किलिंग में शामिल थे।

पठानकोट की सोमवार की घटना ने सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौतियां और बढ़ा दी हैं। इस वारदात को पाक के आतंकी संगठनों के ओवरग्राउंड वर्कर भी अंजाम दे सकते हैं।

इस बैठक में जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के जमीनी हालात पर गौर करते हुए आगे की रणनीति तैयार की गई। जिसमें टारगेट किलिंग करने वाले हाइब्रिड आतंकियों के खिलाफ खास खुफिया तंत्र तैयार किए जाने का फैसला लिया गया।

पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने बताया कि मारे गए दो आतंकियों (Terrorists) में से एक प्रतिबंधित संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट '(टीआरएफ) का कमांडर था।

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