Chhattisgarh Naxals

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में पुलिस ने एक स्पेशल स्कूल खोला है। यह स्कूल आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए है। इस स्कूल में फिलहाल 300 से ज्यादा नक्सली पढ़ाई कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। बस्तर इलाके में डीआरजी और स्पेशल फोर्स के जवानों मुठभेड़ के दौरान 7 नक्सलियों को ढेर कर दिया।

नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बन रही सड़कों पर माओवादियों की बुरी नजर है। वे क्षेत्र में सड़कों का निर्माण नहीं होने देना चाहते।

इस रियल कहानी का असल किरदार जब मर जाता है तब सामने आती है उसके बचपन की वो कहानी जो एकदम हिंदी फिल्मों की तरह लगती है।

लगभग एक दर्जन हथियारबंद नक्सली नवामुड़ा गांव में स्थित तेंदूपत्ता गोदाम पहुंचे थे। नक्सलियों के इस दल में महिला नक्सली भी शामिल थीं।

एक समय वह खूंखार नक्सली था। 18 सालों तक बीहड़ों में रह कर उसने सिर्फ खून-खराबा किया। लेकिन कहते हैं न, जब जागो, तभी सवेरा...। तो आज वह उस अंधेरी दुनिया से निकल आया है।

बीजापुर जिले के पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, 6 मई की शाम को बीजापुर शहर से बेदरे के लिए जय भवानी ट्रैवल्स की यात्री बस रवाना हुई थी। बस जब कुटरू और फरसेगढ़ के बीच पहुंची थी तभी रास्ते में नक्सलियों ने उसे रोक लिया।

सुरक्षाबलों ने राज्य के गर्दापाल के जंगलों से हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद किया है। नक्सलियों ने बड़ी वारदात को अंजाम देने के मकसद से हथियारों के इस जखीरे को जंगल के एक टैंक में छिपा रखा था।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर में 9 नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। जिनमें तीन इनामी नक्सली भी शामिल हैं।

सुकमा जिले के पुसपाल थाना क्षेत्र के चितलनार और मुण्डवाल गांव के जंगलों से पुलिस ने महिला नक्सली सोड़ी पीसो उर्फ अनीता को गिरफ्तार किया है।

दंतेवाड़ा के किरंदुल इलाके में नक्सलियों ने फिर से अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दिया है। 100 की संख्या में आए नक्सलियों ने जमकर तांडव मचाया।

खुद को आदिवासियों का मसीहा बताने वाले नक्सली नहीं चाहते कि स्थानीय लोग समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें।

नक्सली ज्यादातर मासूम गांव वालों पर पुलिस की मुखबिरी करने का आरोप लगाकर उन पर जुल्म ढाते हैं, उन्हें मारते पीटते हैं, यहां तक कि उनकी हत्या कर देते हैं।

लोगों की जान बचाने के लिए अक्सर अपनी जान जाोखिम में डालना पड़ता है। रास्ते में नक्सलियों का ख़तरा भी रहता है। पर, सुरक्षाबलों की मुस्तैदी के चलते ये सेवा लगातार जारी है।

सरेंडर करने के बाद सोभी और सुमित्रा ने नक्सलियों की घिनौनी करतूतों की जो कहानी पुलिस के सामने बयां की उसे सुनकर सभी दंग रह गए।

यह तीनों जब एक साथ रणभूमि में खड़ी हो जाती हैं तो नक्सलियों के पसीने छूटने लगते हैं। खासकर उस वक्त जब इनके हाथों में बंदूक हो तो वो नक्सलियों के लिए काल बन जाती हैं।

वह 13 अप्रैल, 2015 को चोलनार कैंप से किरन्दुल आ रहे पुलिस के वाहन पर बम विस्फोट करने और फायरिंग करने की घटना में शामिल थी। इसमें 5 जवान शहीद हुए थे।

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