हार्डकोर नक्सली दंपति ने किया सरेंडर, संगठन के शोषण से थे परेशान

सारंडा में सक्रिय सब जोनल कमांडर अनमोल दा दस्ते के हार्डकोर नक्सली दंपति ने एक साथ मुख्यधारा में लौटने के लिए आत्मसमर्पण किया। भाकपा माओवादी से जुड़े इस नक्सली दंपती पर सरकार ने एक-एक लाख का इनाम घोषित कर रखा था।

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हार्डकोर नक्सली दंपति ने आत्मसमर्पण किया

पश्चिम सिंहभूम जिला पुलिस और सीआरपीएफ 174 बटालियन को 3 मार्च  को एक और सफलता मिली, जब 09 दिसंबर, 2014 को चाईबासा जेल ब्रेक कर भागे इनामी नक्सली गोइंदा गागराई उर्फ रणबीर पात्रो उर्फ गणेश्वर ने अपनी पत्नी शांति कंडुलना उर्फ अलबीना कंडुलना के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। सारंडा में सक्रिय सब जोनल कमांडर अनमोल दा दस्ते के हार्डकोर नक्सली दंपति ने एक साथ मुख्यधारा में लौटने के लिए आत्मसमर्पण किया। भाकपा माओवादी से जुड़े इस नक्सली दंपती पर सरकार ने एक-एक लाख का इनाम घोषित कर रखा था।

इन पर बारूदी सुरंग विष्फोट कर सुरक्षा बल के जवानों को उड़ाने, जेल ब्रेक की साजिश रचने समेत नक्सली गतिविधियों में शामिल होने का आरोप था। दोनों पर प. सिंहभूम जिला में तीन-तीन मामले दर्ज हैं। साथ ही ये दोनों ओडिशा और झारखंड पुलिस के साथ 9 मुठभेड़ में शामिल रहे। रणबीर 2014 में हुए चाईबासा जेल ब्रेक कांड के मास्टर माइंड में से एक है। आत्मसमर्पण करने के बाद पूछताछ में दोनों ने सभी घटनाओं में शामिल होने की बात भी स्वीकार किया। नक्सली रणबीर पात्रो उर्फ रामबीर पात्रो और उसकी पत्नी शांति कंडुलना उर्फ अलबिना कंडुलना ने चाईबासा एसपी चंदन झा और 174 सीआरपीएफ कमांडेंट डॉ. प्रेमचंद के समक्ष स्वेच्छा से आत्मसमर्पण किया।

रणबीर संगठन में रामबीर, गणेश्वर, विक्रम गागाराई के नाम से जाना जाता था। वह मूलत: ओडिशा के सुंदरगंज का रहने वाला है, जबकि उसकी पत्नी शांति सारंडा के छोटानागरा की रहने वाली है। दोनों ने संगठन में रहते हुए शादी किया था। जब दोनों ने शादी का फैसला लिया तो संगठन के शीर्ष नेताओं ने जबरन रणबीर की नसबंदी करा दी थी। दरअसल, नक्सली कमांडर दोनों की शादी के लिए तैयार नहीं था। दोनों जब शादी के लिए अड़ गये तो कमांडर ने शर्त रखा कि संगठन में कोई बच्चा पैदा नहीं करेगा इसलिए रणवीर की पहले नसबंदी कराई जाएगी। उसके बाद ही उन्हें शादी करने देंगे। इस पर मजबूरी में दोनों राजी हुए। नक्सली कमांडर के द्वारा जबरदस्ती रणबीर की नसबंदी कराई गयी।

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परिजन के समझाने पर दोनों ने आत्मसमर्पण किया। पुलिस अधीक्षक चंदन कुमार झा ने बताया कि आत्मसमर्पण के लिए उसके परिवार वाले पुलिस के संपर्क में थे। सरकार व पुलिस पर भरोसा कायम होने के बाद दोनों नक्सली दंपति ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। उन्होंने बताया कि दोनों ने यह कदम झारखंड सरकार द्वारा प्रदत प्रत्यर्पण एवं आत्मसमर्पण नीतियों से प्रभावित होकर उठाया। दोनों को राज्य सरकार के आत्मसमर्पण नीति के तहत तत्काल एक-एक लाख नगद राशि एसपी ने दिए। एसपी ने नक्लसवाद से जुड़े लोगों से अपील करते हुए कहा कि नक्सली मुख्य धारा में जुड़ने के लिए आगे आएं। उन्हें सरकार की नीतियों का पूरा लाभ मिलेगा।

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