पति की प्रताड़ना से तंग आकर नक्सली बनी महिला ने सरेंडर के बाद कहा- हिंसा का रास्ता ठीक नहीं

झारखंड के दुमका में 17 जून, 2019 को पुलिस के समक्ष सरेंडर करने वाली माओवादी सब जोनल कमांडर पीसी दी उर्फ प्रीशीला देवी अपने पति की प्रताड़ना से तंग आकर नक्सली बन गई थी।

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माओवादी सब जोनल कमांडर पीसी दी उर्फ प्रीशीला देवी अपने पति की प्रताड़ना से तंग आकर नक्सली बन गई थी।

Exclusive: झारखंड (Jharkhand) के दुमका में 17 जून, 2019 को पुलिस के समक्ष सरेंडर करने वाली माओवादी सब जोनल कमांडर पीसी दी उर्फ प्रीशीला देवी अपने पति की प्रताड़ना से तंग आकर नक्सली बन गई थी। सिर्फ सच को पीसी दी की नजदीकी सूत्र ने बताया कि उसका पहला पति रवींद्र देहरी उसे अक्सर प्रताड़ित करता था। पति की प्रताड़ना से तंग आकर पीसी दी ने नक्सलियों के महिला ग्रुप नारी मुक्ति संघ से जुड़ गई थी।

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पुलिस के सामने सरेंडर करते हुए पीसी दी

2007-08 में Jharkhand के जंगलों में पीसी दी की मुलाकात माओवादी हार्डकोर लीडर प्रवीर दा, ताला दा और विजय दा से हुई। तब से वह सशस्त्र दस्ता में शामिल हो गई। नक्सली नेताओं ने उसे संगठन में कई तरह की सुविधाएं देने का वादा किया था। यह दीगर है कि उसे जो कहा गया, वह नहीं मिला। वह एके 47 लेकर चलती थी। Jharkhand के संथाल परगना में 15 नक्सली कांडों में वह संलिप्त थी। अब उसका हृदय परिवर्तन हो चुका था। सरेंडर के दौरान उसने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि हिंसा का रास्ता सही नहीं है। एसपी अमरजीत बलिहार की हत्या पर उसने अफसोस जताया। पीसी ने कहा कि हमलोगों को बाद में पता चला कि जिस पुलिस अफसर को मारा गया, वह पाकुड़ का एसपी अमरजीत बलिहार था।

बता दें कि 2 जुलाई, 2013 को जिस नक्सली दस्ता ने जमनी (काठीकुंड) में एसपी अमरजीत बलिहार सहित छह पुलिसकर्मियों की हत्या की थी, उसमें पीसी दी भी प्रमुख भूमिका में थी। पीसी दी अब अपने पूर्व पति रवींद्र को भूल चुकी है और सुखलाल देहरी से शादी कर चुकी है। सुखलाल देहरी ने भी 17 जून, 2019 को पीसी दी के साथ सरेंडर किया। दो जोड़ों ने एक साथ सरेंडर किया। एक पीसी दी और उसका पति सुखलाल देहरी और दूसरा जोड़ा प्रेमशील देवी और उसका पति सिद्धो मरांडी उर्फ सिदो हेम्ब्रम। सुखलाल देहरी और पीसी दी दुमका जिला के काठीकुंड थाना क्षेत्र के छोटा तेतुलमाठ के रहने वाले हैं।

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पीसी दी पर एसपी अमरजीत बलिहार हत्याकांड, जामा थानेदार हत्याकांड, 2014 मे लोकसभा चुनाव के दौरान बम विस्फोट कर कई जवानों को मौत के घाट उतारने समेत करीब 15 मामले दुमका समेत संताल परगना के विभिन्न थानों में दर्ज है।ताला की मौत के बाद संताल में सुधीर, विजय व निशिकांत संभाल रहा है। दस्ता महिला नक्सली पीसी दी के अनुसार ताला के पुलिस के हाथों मौत के बाद अभी संगठन की कमान विजय, निशिकांत व सुधीर संभाल रहा है। इन्हीं नक्सलियों के पास लेवी का पैसा रहता है। माओवाद के संथाल लीडर ताला दा को मार दिया गया था।

ताला दा गिरिडीह और संताल परगना के माओवादियों के बीच समन्वय का काम करता था। ताला दा के मरने के बाद भी संताल परगना में भाकपा माओवादी की कमान विजय दा उर्फ नंदलाल माझी के हाथों में पूरी तरह आ गई। इसके बाद गिरिडीह और संताल परगना के माओवादी लीडर और कैडर के बीच दूरी बढ़ती गई। इसी बीच पुलिस ने संताल परगना में रहने वाले माओवादी लीडर और कैडर के साथ संपर्क बनाया, उनके सुख दुख में खड़ा होना शुरू किया। इसी का नतीजा है कि पीसी दी समेत पांच ऐसे माओवादियों ने हथियार डाल दिया, जिनके नाम पर संताल का इलाका थर थर कांपता रहा है।

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