छत्तीसगढ़: राजनांदगांव में साढ़े 7 लाख के इनामी नक्सली ने आत्मसमर्पण किया

नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ पुलिस को लगातार सफलता मिल रही है। पिछले कुछ दिनों में प्रशासन की नक्सियों के लिए पुनर्वास योजना से प्रभावित होकर राज्य में कई नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है।

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राजनांदगांव जिले में 23 सितंबर को एक साढ़े 7 लाख के इनामी नक्सली ने आत्मसमर्पण कर दिया।

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राजनांदगांव में इनामी नक्सली ने आत्मसमर्पण कर दिया।

नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ पुलिस को लगातार सफलता मिल रही है। पिछले कुछ दिनों में प्रशासन की नक्सलियों पुनर्वास योजना से प्रभावित होकर राज्य में कई नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है। इसी कड़ी में राजनांदगांव जिले में 23 सितंबर को एक साढ़े 7 लाख के इनामी नक्सली ने आत्मसमर्पण कर दिया। सरेंडर करने वाला नक्सली मलाजखण्ड एरिया कमेटी सदस्य राजेश तोपपा उर्फ अजीत उर्फ लच्छू बताया जा रहा है। नक्सली तोप्पो ने दुर्ग रेंज के आईजी हिमांशु गुप्ता, डीआईजी रतनलाल डांगी, जिले के एसपी कमलोचन कश्यप के सामने सरेंडर किया। इनामी नक्सली राजेश तोपपा 2009 से नक्सली संगठन के साथ जुड़ा हुआ था।

2009 से अब तक जिले में हुई कुल 4 नक्सली घटनाओं में इसके शामिल होने का आरोप था। आत्मसमर्पित नक्सली तोप्पो ने के मुताबिक, संगठन से बड़े कैडर के नक्सलियों की दमनकारी नीतियों से परेशान होकर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने का मन बनाया। सरेंडर नक्सली राजेश तोपपा ने पुलिस को बताया कि वह साल 2009 से नक्सल संगठन के साथ जुड़ा। उसके बाद उसने 2011 तक कोरची एरिया कमेटी में काम किया। साल 2012 में उसे सीसीएम दीपक तेलतुमडे का गार्ड बनाया गया। 2012 से 2014 तक उसने सीसीएम दीपक तेलतुमडे के बॉडी गार्ड के रूप में काम किया। 2015 में उसने फिर कोरची दलम में काम किया।

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साल 2016 में उसका ट्रांसफर टाडा एरिया कमेटी में कर दिया गया। उसके बाद साल 2017 में मलाजखंड एरिया कमेटी में उसका ट्रांसफर किया गया, जहां वह अब तक काम कर रहा था। इससे पहले बस्तर में सरकार की पुनर्वास नीतियों से प्रभावित होकर डीकेएमएस अध्यक्ष मड़ियाम भीमा ऊर्फ कांछा भीमा ने आत्मसमर्पण कर दिया था। बस्तर पुलिस द्वारा चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियान के तहत यह सफलता मिली। उक्त नक्सली ने दंतेवाड़ा के एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव के सामने 20 सितंबर को आत्मसमर्पण किया। बस्तर के आईजी विवेकानंद सिन्हा के मुताबिक, आत्मसमर्पित नक्सली मड़ियम भीमा को साल 2004 में नक्सली कमांडर विनोद ने नक्सल संगठन में जनमिलिशिया सदस्य के रूप में भर्ती करवाया था।

साल 2010 में उसे नक्सल संगठन डीकेएमएस का अध्यक्ष बनाया गया। वह गुमियापाल इलाके में काम कर रहा था। नक्सली संगठन में रहकर वह आगजनी, हत्या, रेकी, सड़क तोड़ने और गांव के लोगों को बरगला कर नक्सली संगठन में शामिल करने का काम करता था। गौरतलब है कि, नक्सलवाद के खात्मे के लिए सरकार और प्रशासन ने पूरी तरह कमर कस लिया है। नक्सल उन्मूलन के लिए तरह-तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं। इसके तहत लोगों को जागरूक करने का काम भी किया जा रहा है। ताकि लोग नक्सलियों के बहकावे में आकर गलत रास्ते पर न जाएं। सरकार की पुनर्वास नीति भी नक्सलियों के आत्मसमर्पण के लिए बहुत ही कारगर साबित हो रही है।

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