बिहार: गया में नक्सली ने किया सरेंडर, रोंगटे खड़े कर देने वाला है नक्सली संगठनों का सच

23 साल के समीर उर्फ शशिरंजन उर्फ सबीर ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वाला शशिरंजन गया जिले के गुरारू थाना क्षेत्र के कोची गांव का रहने वाला है।

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बिहार के गया जिले के एक हार्डकोर नक्सली ने नक्सलवाद को छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। 4 अक्टूबर को 23 साल के समीर उर्फ शशिरंजन उर्फ सबीर ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

बिहार (Bihar) के गया जिले के एक हार्डकोर नक्सली ने नक्सलवाद को छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। 4 अक्टूबर को 23 साल के समीर उर्फ शशिरंजन उर्फ सबीर ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। 

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सरेंडर नक्सली शशिरंजन

आत्मसमर्पण करने वाला शशिरंजन बिहार (Bihar) के गया जिले के गुरारू थाना क्षेत्र के कोची गांव का रहने वाला है। स्नातक की डिग्री रखने वाले शशिरंजन को कुछ लोगों ने बरगला कर नक्सल संगठन में शामिल करवा दिया। जानकारी के मुताबिक, सीआरपीएफ की 205 और 159 बटालियन, आरएफटी पटना, एएसपी अभियान अरुण कुमार और जिला पुलिस के सकारात्मक प्रयासों की वजह से शशिरंजन ने आत्मसमर्पण किया है।

अब शशिरंजन और उसके परिवार को स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है। साथ ही सरकारी स्तर पर हर संभव मदद करने का प्रयास किया जाएगा। शशिरंजन के अनुसार, उसने मोबाइल और कंप्यूटर खरीदने के लिए घर वालों से पैसे नहीं मिलने पर दिसंबर, 2017 में नक्सलवाद का रास्ता पकड़ लिया था।

उस वक्त वह कुछ लोगों के बहकावे में आकर भाकपा माओवादी संगठन के दस्ते में शामिल हो गया था। दिसंबर, 17 से अक्टूबर, 18 तक वह भाकपा माओवादी सब जोनल कमांडर अभिजीत के साथ दस्ता में रहा। अक्टूबर, 18 के बाद अब तक वह जोनल कमांडर विवेक के दस्ते के साथ काम कर रहा था और छक्करबंधा पहाड़ी में सक्रिय था। एसएसपी के मुताबिक, आत्मसमर्पण करने वाले शशिरंजन पर गया जिले के डुमरिया थाना में आर्म्स एक्ट, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, यूएपीए एक्ट के अंतर्गत मामले दर्ज हैं। इसके अलावा बिहार (Bihar) के औरंगाबाद जिले के देव थाना और अंबा थाना में भी उस पर केस दर्ज हैं।

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शशिरंजन के अनुसार, नक्सली संगठन गरीब और असहाय लोगों को बहकाते हैं और उन्हें अपने चंगुल में फंसाकर नक्सली बनाते हैं। बाद में वही नक्सली आम लोगों और निर्दोषों का शारीरिक और मानसिक शोषण करते हैं। उसने जब भी संगठन छोड़ना चाहा, उसे वहां से निकलने नहीं दिया गया। कई तरह की यातनाएं दी गईं। कई दिनों तक उसे भूखा रखा गया। इतना ही नहीं, उसे एक कमरे में बंधक बनाकर रखा गया था। शशिरंजन के मुताबिक, उसने संगठन में दर्दनाक यातना को काफी करीब से देखा है। नक्सल संगठन के शीर्ष नेता बहुत ही क्रूरता के साथ पेश आते हैं। अब नक्सली संगठन अपने सिद्धांत से हटकर केवल लेवी वसूलने का काम करते हैं।

वहां युवाओं और महिलाओं का केवल फायदे के लिए उपयोग किया जाता है। संगठन में महिलाओं पर अत्याचार और उनका यौन शोषण किया जाता है। लिहाजा, शशिरंजन ने संगठन में हो रहे शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर नक्सलवाद को छोड़ कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला लिया। एसएसपी ने नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि जो नक्सली आत्मसमर्पण करेंगे उन्हें प्रत्यर्पण के साथ ही पुनर्वास योजना का लाभ मिलेगा। इसके तहत तीन साल तक उन्हें हर महीने चार हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षण एवं स्वरोजगार के लिए साधन भी मुहैया कराया जाएगा।

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