नक्सलियों को शिक्षा की ओर मोड़ रहा गढ़चिरौली इग्नू-सेंटर

85 स्टूडेंट्स जिन्होंने गढ़चिरौली के इग्नू स्टडी-सेंटर से कोर्स पूरा किया है, वे महाराष्ट्र में किसी न किसी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इसके अलावा 68 स्टूडेंट्स ने बैचलर ऑफ सोशल-वर्क में डिग्री कोर्स किया है ताकि वे अपने गांवों में जाकर वहां सामाजिक विकास का काम कर सकें।

IGNOU

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली और पढ़ाई अधूरी छोड़ने वाले कई आदिवासियों को अब जीवन में शिक्षा का महत्व समझ आ रहा है और वे बेहतर भविष्य के लिए एकबार फिर शिक्षा की डगर पर लौट रहे हैं। आदिवासी बहुल विदर्भ जिले में उचित शिक्षा सुविधाओं की कमी के कारण कई युवक नक्सल अभियान से जुड़ जाते हैं। लेकिन, उनमें से कुछ ने इसकी निरर्थकता को महसूस किया और राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।

35 साल का एक पूर्व नक्सली जिसने 12वीं में पढ़ाई छोड़ दी थी और 19 साल की उम्र में नक्सली बन गया था, आत्मसमर्पण के बाद उसने कुरखेड़ा के IGNOU Study Center में बैचलर प्रीपरेटरी प्रोग्राम ज्वाइन कर लिया है। पहचान न बताने की शर्त पर एक ने बताया कि उसने 2014 में आत्मसमर्पण कर दिया और अब वह समाजिक कार्यों से जुड़ना चाहता है। वह बताता है कि गरीबी की मार ने उसे नक्सल-आंदोलन से जुड़ने के लिए मजबूर किया।

कुरखेड़ा की ही 43 साल की जयश्री माडवी ने भी 11वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी, पर उसकी बेटी ने उसे फिर से पढ़ाई शुरू करने के लिए प्रेरित किया। उसने अपनी बेटी के सात ही 12वीं पास की और आज दोनों मां-बेटी IGNOU Study Center से बीए कर रही हैं। प्रियंका जदे भी अपनी बहन के साथ वहीं से बीए कर रही हैं जबकि उनकी मां बैचलर प्रीपरेटरी प्रोग्राम कर रही हैं।

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कुरखेड़ा तालुका स्थित ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय’ का एक अध्ययन-केंद्र इन लोगों को दूरस्थ शिक्षा-कार्यक्रम के तहत उच्च शिक्षा पूरी करने का अवसर दे रहा है। विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों सहित करीब 468 छात्र इग्नू के गढ़चिरौली शिक्षा केन्द्र से विभिन्न डिप्लोमा और डिग्री कोर्स कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इग्नू वर्ष 2013 से जिले में कुछ शिक्षा-केन्द्र चला रहा है।

इग्नू की लोकल कोऑर्डिनेटर गौरी उइके ने बताया कि युवक, युवतियों के साथ-साथ वयस्कों को उच्च-शिक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए उन्होंने कुरखेड़ा, कोरसी और धनोरा में लगभग 150 गांवों का दौरा किया है। वह एक स्वयं-सहायता समूह की सदस्य भी हैं जो गांव की महिलाओं से मिलता है और उन्हें शिक्षा के अवसरों के बारे में जागरूक करता है। एक बार वे लोग इग्नू में रजिस्ट्रेशन करवा लेते हैं उसके बाद इग्नू ही उन्हें स्टडी मेटेरियल प्रोवाइड कराता है। वह बताती हैं कि ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने शिक्षा की सुविधा नहीं होने के कारण या घरेलू समस्याओं के कारण पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी। इग्नू ने उनके उच्च शिक्षा के सपने को पूरा करने के अवसर दिया है।

वह दावा करती हैं कि लगभग 85 स्टूडेंट्स जिन्होंने गढ़चिरौली के इग्नू स्टडी-सेंटर से कोर्स पूरा किया है, वे महाराष्ट्र में किसी न किसी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इसके अलावा 68 स्टूडेंट्स ने बैचलर ऑफ सोशल-वर्क में डिग्री कोर्स किया है ताकि वे अपने गांवों में जाकर वहां सामाजिक विकास का काम कर सकें। इग्नू के नागपुर रीजनल सेंटर के डायरेक्टर पी. शिवस्वरूप कहते हैं कि उन्हें खुशी है कि आदिवासी महिलाएं उच्च-शिक्षा में रूचि दिखा रही हैं। यह सेंटर गढ़चिरौली स्टडी-सेंटर की देख-रेख करता है।

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