2 पहियों वाली एंबुलेंस, नक्सल प्रभावित इलाकों में यूं बचाती है लोगों की जान

लोगों की जान बचाने के लिए अक्सर अपनी जान जाोखिम में डालना पड़ता है। रास्ते में नक्सलियों का ख़तरा भी रहता है। पर, सुरक्षाबलों की मुस्तैदी के चलते ये सेवा लगातार जारी है।

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गर्भवती महिलाओं को कई बार इस एंबुलेंस से अस्पताल तक पहुंचाया जाता है। प्रतीकात्मक तस्वीर।

छत्तीसगढ़ में नक्सली हमलों का इतिहास दशकों पुराना है। आए दिन यहां की सरजमीन नक्सली हिंसा के चलते लाल होती रही है। नक्सलियों ने यहां न सिर्फ़ खून खराबा किया है बल्कि विकास के रथ को भी रोकने की भरपूर कोशिश की है। प्रशासन लगातार केंद्र और राज्य सरकार की विकासपरक योजनाओं को यहां तक पहुंचाने के लिए मुस्तैदी से डटा रहता है लेकिन नक्सलियों के डर से आज भी बहुत सी जगहों पर सड़क और संचार की व्यवस्था पूरी नहीं हो पाई है। ऐसे में नागरिकों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हम आए दिन सुनते रहते हैं कि नक्सलियों ने फ़लां जगह ठेकेदार को गोली मार दिया तो कहीं पर इंजीनियर को अगवा कर लिया। लिहाजा, दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों और जंगलों में रहने वाले लोगों तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने में ढेरों कठिनाइयों का सामना पड़ता है। नक्सलियों की यह करतूत स्थानीय नागरिकों के लिए दोहरी मार है।

ग्रामीणों को न तो सड़क और संचार की सुविधा उपलब्ध है और न ही स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं मिल पा रही हैं। इन इलाकों में न तो अस्पताल हैं और ना ही सरकारी एम्बुलेंस की सुविधा है। ऐसे में जानलेवा स्थिति में भी उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पाता है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। जिसके चलते प्रसव में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इन हालात में, स्थानीय ग्रामीणों के लिए वरदान बन कर आई है बाइक एंबुलेंस। जी, एंबुलेस की सभी बेसिक सुविधाओं से लैस बाइक। ये सभी बाइक एम्बुलेंस प्रशासन की मदद से विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे हैं। संस्था से जुड़े लोग उन तमाम गांवों और जंगलों में बसे लोगों को बाइक के ज़रिए अस्पताल पहुंचाते हैं, जहां सड़कें नहीं होने के कारण चार पहिया वाहन नहीं जा सकते।

छत्तीसगढ़ के कवर्धा से लेकर नारायणपुर तक ऐसे न जाने कितने क्षेत्र हैं जहां सड़क की सुचारू व्यवस्था नहीं हो पाई है। ऐसे में बाइक एम्बुलेंस लोगों को समय से अस्पताल पहुंचाने में मददगार साबित हो रहा है। संस्था से जुड़े हुये लोग कच्ची सड़क और जंगल के रास्तों से बाइक पर मरीज को बैठाकर अस्पताल पहुंचाते हैं। रास्ते में नक्सलियों का ख़तरा भी रहता है। पर, सुरक्षाबलों की मुस्तैदी के चलते ये सेवा लगातार जारी है। इनका लक्ष्य यही रहता है कि लोगों को जल्द से जल्द उपचार की सुविधा उपलब्ध हो सके। बीमार लोगों का इलाज समय पर हो सके एवं गर्भवती महिलाओं का समय पर प्रसव हो सके।

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