‘महिलाओं और बच्चों का शोषण होता है’, 10 लाख के इनामी नक्सली ने सरेंडर के बाद खोली संगठन की पोल

झारखंड सरकार की समर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर बीते गुरुवार (19-09-2019) को गुमला पुलिस लाइन में भाकपा माओवादी कमांडर भूषण यादव उर्फ चंद्रभूषण यादव ने सरेंडर कर दिया।

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देर से ही सही लेकिन मुख्यधारा से भटके कुख्यात भूषण अब अंधेरे से निकलकर उजाले की तरफ आ गया है।

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सरेंडर करने वाला भाकपा माओवादी का सबजोनल कमांडर भूषण यादव

‘सरकार की नई नीति से प्रभावित होकर हम आत्मसमर्पण कर रहे हैं। औरों को भी कहेंगे कि नक्सलवाद की राह को छोड़कर मुख्यधारा को अपनाएं और बीवी बच्चों के साथ खुशियों से जीवन बिताएं। हम भूलकर भी अब नक्सली रास्ता नहीं अपनाएंगे।’ जिस कुख्यात नक्सली के सिर पर प्रशासन ने 10 लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा था उसके यह बात उस वक्त कही जब वो घुटने टेकने के लिए पुलिस वालों के सामने खड़ा था। देर से ही सही लेकिन मुख्यधारा से भटके कुख्यात भूषण अब अंधेरे से निकलकर उजाले की तरफ आ गया है। झारखंड सरकार की समर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर बीते गुरुवार (19-09-2019) को गुमला पुलिस लाइन में भाकपा माओवादी कमांडर भूषण यादव उर्फ चंद्रभूषण यादव ने सरेंडर कर दिया।

समर्पण करते हुए भूषण ने कहा, ‘अपनों से दूर रहकर मैंने काफी दर्द सहा है।’ भूषण यादव के सरेंडर के मौके पर रांची रेंज के डीआइजी अमोल वेणुकांत होमकर, गुमला आयुक्त शशि रंजन व गुमला के एसपी अंजनी कुमार झा मौजूद थे। बता दें कि भूषण यादव अपने नक्सली साथियों के साथ मिल कर कई बार पुलिस पर जानलेवा हमला कर चुका था। हथियार लूटने, बम विस्फोट करने, फायरिंग, विकास कार्यों में लगी मशीनों को आग के हवाले करने की कई नक्सली घटनाओं को भी इस दुर्दांत नक्सली ने अंजाम दिया था। भाकपा माओवादी का जोनल कमांडर भूषण यादव साल 1995 में भारत नौजवान सभा से जुड़ा था। 1997 में संगठन पर प्रतिबंध लगने के बाद मदनपाल ने पार्टी यूनिट का गठन किया। भूषण यादव भी इसमें शामिल हो गया। पार्टी यूनिट में एक साल बाद 1998 में भूषण को एरिया कमांडर का पद मिला।

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इसके एरिया में मनिका और बनालात के कुछ इलाके थे। इसके बाद मदनपाल और पप्पू सिंह के साथ भूषण विशुनपुर, डुमरी, चैनपुर के जंगली इलाकों में सक्रिय रहा। 1999 में सब जोनल कमांडर का उसे पद मिला। इसके बाद उसके अंतर्गत डुमरी, चैनपुर, विशुनपुर एवं गुरदरी के जंगली इलाके शामिल हो गए। पार्टी यूनिट में भूषण यादव को 2003 में जोनल कमांडर का पद दिया गया। जोनल कमांडर बनने के बाद डुमरी, चैनपुर, विशुनपुर, घाघरा, गुमला का क्षेत्र भी उसे दिया गया। 21 सितंबर, 2004 को एमसीसी और पीपुल्सवार ग्रुप का विलय हुआ और भाकपा माओवादी संगठन बना। नये संगठन में भी भूषण को जोनल कमांडर का पद दिया गया।

बता दें कि अक्टूबर, 2009 में भूषण यादव को पश्चिम बंगाल के कोलकाता बाजार से इलाज कराने के दौरान गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उसे झारखंड लाया गया और गुमला व लोहरदगा की जेल में रखा गया। 2015 में लोहरदगा जेल से भूषण जमानत पर बाहर आया। इसके बाद करीब तीन महीने तक घर पर रहने के बाद नवंबर, 2015 में रीजनल कमांडर नकुल यादव से संपर्क कर पार्टी में शामिल हो गया। इसके बाद भूषण का कार्यक्षेत्र मुख्य रूप से गुमला रहा। इस दौरान भूषण बूढ़ा पहाड़ के इलाकों में सक्रिय रहा। सरेंडर करनेवाले माओवादी भूषण यादव के खिलाफ गुमला जिले के चैनपुर, घाघरा, डुमरी, विशुनपुर, रायडीह एवं गुरदरी थाना में 17, लातेहार जिला के महुआडांड़, बारेसांड़ एवं नेतरहाट थाना में 5 तथा लोहरदगा जिले के सेन्हा थाना में 2 उग्रवादी कांड दर्ज हैं।

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इनमें से अधिकतर मामलों में भूषण यादव को फरार दिखाते हुए कोर्ट से स्थायी वारंट जारी किया गया है। गुमला पुलिस लाइन में वरीय पुलिस अधिकारियों के समक्ष सरेंडर करनेवाले भूषण यादव ने सरेंडर के दौरान कहा कि ‘इन दिनों माओवादी विचारधारा विहीन होकर केवल लूट में लगे हुए हैं….संगठन में महिलाओं तथा बच्चों का शोषण किया जा रहा है….आम जनता को परेशान किया जाता है…साथ ही सुरक्षाबलों के अभियान से माओवादियों में डर बना हुआ है….पिछले कुछ वर्षों से लगातार अभियान तथा गिरफ्तारी के कारण माओवाद गुमला, लातेहार तथा लोहरदगा में लगभग खत्म हो चुका है।’

उसने बताया कि कई और माओवादी हैं जो समाज की मुख्यधारा में लौटने को तैयार हैं। भूषण यादव लातेहार के महुआडांड़ का रहनेवाला है। भाकपा माओवादी का सबजोनल कमांडर भूषण यादव एक करोड़ के इनामी नक्सली अरविंद और सुधाकरण के दस्ते का सदस्य रह चुका है। अरविंद की मौत और सुधाकरण के समर्पण के बाद अब झारखंड में नक्सलियों की कमर टूट चुकी है।

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