दंतेवाड़ा: गिरफ्त में आया एक और इनामी नक्सली, संभालता था नक्सलियों का बड़ा नेटवर्क

सर्च के दौरान पुलिस दल ने नक्सली कोपाराम कडती उर्फ वीर सिंह को मासोड़ी गांव के पास से गिरफ्तार किया। गिरफ्तार माओवादी साल 2007 से नक्सली संगठन में जुड़कर कार्य कर रहा था।

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2007 में नक्सली संगठन से जुड़ा था। सांकेतिक तस्वीर।

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की धर-पकड़ लगातार जारी है। राज्य के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में पुलिस ने एक लाख रुपए के इनामी नक्सली को गिरफ्तार किया। दंतेवाड़ा जिले के पुलिस अधिकारियों के अनुसार, 29 मई को जिले के फरसपाल थाना क्षेत्र के मासोड़ी गांव के पास से पुलिस ने दंडकारण्य आदिवासी किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष कोपाराम कडती को गिरफ्तार किया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि फरसपाल थाना क्षेत्र में नक्सली गतिविधि की सूचना मिली थी। जिसके बाद क्षेत्र में पुलिस बल को सर्च के लिए भेजा गया था।

सर्च के दौरान पुलिस दल ने नक्सली कोपाराम कडती उर्फ वीर सिंह को मासोड़ी गांव के पास से गिरफ्तार किया। गिरफ्तार माओवादी साल 2007 से नक्सली संगठन में जुड़कर कार्य कर रहा था। वह खास कर माओवादियों के लिए रोज के उपयोग में आने वाले सामान उपलब्ध कराने, नक्सली विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने, गांव वालों को नक्सली संगठन से जोड़ने, नक्सलियों के कहने पर ग्रामीणों की बैठक बुलाने और पुलिस की रेकी करने का काम करता था। अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन की ओर से गिरफ्तार माओवादी के सर पर एक लाख रूपए का भी इनाम घोषित है।

इससे पहले, 23 मई को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के जंगलों में सर्चिंग के दौरान सुरक्षाबलों ने 7 नक्सलियों को गिरफ्तार किया। जिनमें 2 महिला नक्सली भी शामिल हैं। गिरफ्तार नक्सली पंडाराम कश्यप, संतु कश्यप, तोडमा जनमिलिशिया कमांडर फगड़ू कश्यप, जोग कश्यप, केएएमएस अध्यक्ष रैमती माडवी, सीएनएम सदस्य सन्नी अवलम और सीएनएम कमांडर मुद्दा ओयाम हैं।

जानकारी के अनुसार, एंटी नक्सल ऑपरेशन के तहत दंतेवाड़ा के बारसूर थाना के मुचनार में सुरक्षाबलों ने 3 इनामी नक्सलियों सहित 7 नक्सलियों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार नक्सलियों को मुचनार गांव के जंगलों में घेराबंदी कर पकड़ा गया। ये नक्सली कई सालों से नक्सल संगठनों से जुड़े हुए थे। इनका काम गांव के भोले-भाले लोगों, खास कर युवाओं को बरगला कर नक्सल संगठनों से जोड़ना था। विकास कार्यों में बाधा डालने, बम लगाने, पुलिस बलों पर हमला करने के साथ-साथ ये नक्सली रेकी करने का काम भी करते थे।

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