मध्यप्रदेश: नई भर्तियां और ट्रेनिंग देने के फिराक में नक्सली, पुलिस अलर्ट

मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के जंगलों में नक्सली लगातार अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। जंगल में बसे गांवों में दहशत फैला कर नक्सली इसका फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।

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मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के जंगलों में नक्सली लगातार अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं

मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के जंगलों में नक्सली लगातार अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। जंगल में बसे गांवों में दहशत फैला कर नक्सली इसका फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। बड़ी संख्या में नक्सलियों के सीमा में प्रवेश करने की खबर से हड़कंप मच गया है। हालांकि, पुलिस यहां पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) सप्ताह को लेकर अलर्ट होने का दावा कर रही है। दूसरी तरफ, नक्सली 2 दिसंबर से पीएलजीए (PLGA) सप्ताह के दौरान अपने भर्ती अभियान को तेज करने में जुटे हैं।

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फाइल फोटो।

पीएलजीए (PLGA) सप्ताह के दौरान जिले में सक्रिय दलम में नए कैडरों को शामिल करने के लिए नक्सली गांवों में लोगों से संपर्क कर रहे हैं। लगातार जंगलों में बसे गांवों में अपना ठिकाना बना रहे नक्सलियों से ग्रामीण दहशत में हैं। दक्षिण बैहर और लांजी से लगे सीमावर्ती इलाके में विस्तार दलम के सदस्यों के सक्रिय होने से यहां छोटे-छोटे समूह में नक्सली अलग-अलग स्थानों पर देखे जा रहे हैं। इलाके में बोडुला, भोरमदेव एरिया कमेटी भी सक्रिय है। यहां नए ठिकाने बनाने के लिए नक्सली गांवों में डेरा जमा रहे हैं। जिले की सीमा में नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस ने बॉर्डर कैंप लगा रखे हैं, लेकिन सतर्कता के बीच नक्सली अपनी पैठ बढ़ा रहे हैं। हाल ही में दो दर्जन से अधिक नक्सलियों के जिले में होने की खबर है।

हालांकि, पीएलजीए (PLGA) सप्ताह के मद्देनजर सुरक्षा कारणों से पुलिस अलर्ट पर है। बता दें कि 2 से 8 दिसंबर तक नक्सली पीएलजीए (PLGA) सप्ताह मनाते हैं। इस दौरान संगठन में नई भर्तियां होती हैं। फिर इनकी ट्रानिंग शुरू होती है। वहीं, नक्सली मार्च के बाद एरिया सर्वे शुरू करते हैं। बारिश में फील्ड ट्रेनिंग शुरू होती है। इसके लिए नक्सली ट्रेनिंग कैंप से पहले ही 8 से 10 स्थानों पर राशन और अन्य जरूरत का सामान जुटा लेते हैं। उसके बाद 3 अगस्त के बाद इनका फील्ड ट्रेनिंग कैंप शुरू होता है, क्योंकि बारिश में पुलिस की मुखबिरी कम हो जाती है। नक्सली ट्रेनिंग कैंप के लिए लोकेशन भी बदलते रहते हैं।

बारिश में कैंप लगाने के लिए नक्सलियों की नजर सायर-संदूका, टेमनी, कोरका-बोंदारी, मलकुआ, चिलकोना, राशिमेटा, कोदापार, पितकोना, चौरिया, चिलौरा, कोसुम्बहरा, धीरी, मुरम, मलायदा, सीतापाला, कटेमा, कट्टीपार जैसे इलाकों पर होती है। नए स्थान के लिए वे दमोह, सालेटेकरी, मछुरदा व छग से लगे मंडई, चिल्पी का चयन करते हैं। बालाघाट एएसपी आकाश भूरिया के मुताबिक, ‘2 दिसंबर से नक्सली पीएलजीए (PLGA) सप्ताह मनाते हैं। सुरक्षा कारणों से सभी चौकी व थानों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। साथ ही सर्चिंग तेज कर दी गई है। बॉर्डर कैंप से भी सीमा पर दबाव बढ़ा है। नक्सली अपने मंसूबों पर कामयाब नहीं हो पाएंगे। मुखबिरों को भी अलर्ट किया गया है। पुलिस नक्सलियों की राह में घात लगाए हुए है।’

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