लद्दाख बॉर्डर पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई भिडंत, बाद में बातचीत से सुलह

भारतीय सैनिक पेनगॉन्ग लेक के उत्तरी हिस्से में पेट्रोलिंग पर निकले थे, जिसका चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने विरोध किया। इसके बाद काफी देर तक दोनों देशों के सैनिकों के बीच धक्का-मुक्की होती रही।

Indian Army

फाइल फोटो।

लद्दाख बॉर्डर पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई भिडंत

जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 11 सितंबर को भिड़ंत हो गई। जानकारी के मुताबिक, लद्दाख बॉर्डर पर पेनगॉन्ग झील के उत्तरी किनारे के पास दोनों सेनाओं का आमना-सामना हुआ। इस झील का एक तिहाई हिस्सा चीन के नियंत्रण में है। भारतीय सैनिक पेनगॉन्ग लेक के उत्तरी हिस्से में पेट्रोलिंग पर निकले थे, जिसका चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने विरोध किया। इसके बाद काफी देर तक दोनों देशों के सैनिकों के बीच धक्का-मुक्की होती रही। दोनों देशों की तरफ से इलाके में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई। देर शाम तक दोनों में संघर्ष चलता रहा।

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दोनों सेनाओं के बीच तनाव कम करने के लिए ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारियों की फ्लैग मीटिंग हुई। इसमें चीनी सैनिक पीछे हटने के लिए तैयार हो गए और टकराव खत्म हुआ। बताया जा रहा है कि भारतीय जवान भारत के ही सीमा में थे। इसलिए चीन की आपत्ति करने पर वे वहां से नहीं हटे। चीन लगातार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) का उल्लंघन करता रहा है। उसके सैनिकों ने पिछले साल जुलाई में लद्दाख के उत्तरी हिस्से में घुसपैठ कर तंबू लगा दिए थे। भारतीय सेना के एक अधिकारी ने कहा है कि हमारे जवान भारतीय सीमा में थे। इसलिए चीन की आपत्ति के बाद भी वहां डटे रहे।

पेनगॉन्ग लेक का काफी हिस्सा विवादित है। इसका दो तिहाई हिस्सा चीन के कब्जे वाले तिब्बत में है। बाकी भारतीय सीमा में है। इस झील की सीमा की लंबाई करीब 134 किलोमीटर है। चीन को झील के उत्तरी हिस्से में भारतीय जवानों की मौजूदगी पर ऐतराज था। दोनों सेनाओं के बीच हुई फ्लैग मीटिंग में चीनी पीछे हटने को तैयार हो गया। इससे पहले भी चीनी सेना इस तरह की हरकत करती रही है। जून, 2016 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनाव बढ़ गया था। चीनी सैनिकों ने डोकलाम में सड़क बनाने की कोशिश की थी। भारतीय जवानों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया था। यह विवाद 73 दिनों तक चला था। इसके बाद चीन ने यहां सड़क निर्माण का काम रोक दिया था।

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उसके बाद अगस्त, 2017 में चीन ने लद्दाख में घुसपैठ की कोशिश की, जिसे भारतीय फौज ने नाकाम कर दिया। घुसपैठ की कोशिश लद्दाख में पेनगॉन्ग लेक के पास हुई। भारत की कार्रवाई के बाद चीनी सैनिकों ने पथराव किया। इसके चलते जवानों को चोटें भी आईं थी। चीन के भी कुछ सैनिक घायल हुए थे। जुलाई, 2018 में भी लद्दाख के उत्तरी क्षेत्र में भारत-चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए थे। तब चीन ने उत्तरी लद्दाख क्षेत्र में घुसपैठ करते हुए तंबू गड़ा दिए थे। सितंबर, 2018 में चीन के दो हेलिकॉप्टर लद्दाख के ट्रिग हाइट इलाके में 10 मिनट तक भारतीय हवाई क्षेत्र में रहे थे। यह इलाका भारत के लिए रणनीतिक तौर पर अहम है।

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सितंबर, 2018 में चीनी सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश की दिवांग घाटी में घुसकर टेंट लगा लिए थे। आईटीबीपी के विरोध के बाद वे वापस लौट गए थे। सेना ने 11 सितंबर की घटना के बाद शिकायत दर्ज की है और जहां दोनों सेनाओं के बीच ताजा भिड़ंत हुई है उसी के पास चुशुल-मोल्दो में सीमा कर्मियों की बैठक करने के लिए कहा है। हालांकि, हाल के वर्षों में दोनों देशों की सेनाओं के आमने-सामने और सीमा उल्लंघन की घटनाओं में कमी आई है। रक्षा मंत्रालय ने 2018-19 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि भारत-चीन सीमा पर स्थिति शांतिपूर्ण बनी हुई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वर्ष की तुलना में, इस वर्ष सीमा उल्लंघन की संख्या में काफी कमी आई है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का चीन विरोध कर रहा है। वह कश्मीर मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का साथ दे चुका है। चीन को लद्दाख को केंद्रीय शासित प्रदेश बनाना खटक रहा है। उधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संसद में साफ कर चुके हैं कि जब जम्मू-कश्मीर की बात होगी तो उसने पाक के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) और चीन के कब्जे वाला अक्साई चीन भी शामिल होगा। ये दोनों क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के अभिन्न अंग हैं।

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