खूबसूरत, दिलकश, सदाबहार रेखा के तिलस्मी जीवन का सच

Rekha

Rekha Birthday Special: हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के किस्से हमेशा से ही लोगों के लिए जिज्ञासा का केंद्र रहे हैं। ये करिश्मा ही तो है कि मोहन सहगल की ‘सावन भादों’ (1970) वाली थुलथुली और भोंदू लड़की, जिसे नाक तक पोंछने की तमीज नहीं थी, आज मिसाल बन गई। वह अपने डायरेक्टर की एक्ट्रेस है। उसे मालूम है कि किस गहराई और ऊंचाई पर कब और कैसे परफॉर्म करना है। शून्य से शिखर तक की यात्रा अकेले और अपने बूते की। जब-जब राह भटकी तो दोबारा खुद को सहेज कर आगे बढ़ी। मर्द बन कर मर्दों वाले काम मर्द से बेहतर ढंग से किया। वो हालीवुड की लीजेंड ग्रेटा गोर्बा की तरह हैं। हालीवुड की मर्लिन मुनरो को यदि सेक्स सिंबल कहा जाता है तो वो बालीवुड की चमत्कार हैं। ऐसी बातें कहीं हो रही हों तो यकीनन 65 साल की होने को आई रेखा की बात हो रही होती है, जो 50 साल का लंबा फिल्मी सफर तय कर चुकी हैं।

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रेखा (Rekha) तमिल फिल्मों के मशहूर अभिनेता जैमिनी गणेशन और तेलगु फिल्मों की अभिनेत्री पुष्पावली की बेटी हैं। रेखा का जन्म 10 अक्टूबर, 1954 को चेन्नई में हुआ। रेखा के पिता और मां की शादी नहीं हुई थी और जब उनका जन्म हुआ तो पिता ने अपनाने से इंकार कर दिया। ये वो दिन थे जब लड़कियां सखियों संग खेलने-कूदने, पढ़ने और सुनहरे सपने देखती थीं। लेकिन परिवार को आर्थिक संकट से उबारने के लिए उन्होंने कैसे-कैसे नर्क से गुज़र कर फिल्मों में काम किया। जब वह लोकप्रियता की ऊंचाईयों पर पहुंचीं तो पिता ने उनकी ज़िंदगी में ‘वापसी’ की कोशिश की। लेकिन रेखा ने इंकार कर दिया। उनकी ज़िंदगी के इस हिस्से से प्रभावित होकर ‘जीवनधारा’ (1983) बनी। अपनी ही ज़िंदगी को परदे पर इतनी खूबसूरती से जीया कि वो बेस्ट एक्ट्रेस के फिल्मफेयर एवार्ड के लिये नामांकित हुईं।

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रेखा (Rekha) की पहली हिंदी फिल्म थी विश्वजीत की ‘अंजाना सफर’,  जो सेंसर बोर्ड के झमेलों के बाद करीब 10 साल बाद ‘दो शिकारी’ नाम से रिलीज़ हुई और फ्लॉप हो गई। यह भी एक संयोग ही है कि विश्वजीत ने ही भानुरेखा को रेखा नाम दिया। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान एक दिलचस्प वाकया हुआ। दरअसल, फिल्म ‘अनजाना सफर’ के डायरेक्टर राजा नवाठे और एक्टर बिस्वजीत ने रेखा को परेशान करने के लिए एक ऐसी हरकत की जिसके बाद रेखा की आंखें नम हो गईं। फिल्म ‘अनजाना सफर’ के एक गाने की शूटिंग के दौरान एक्टर बिस्वजीत अचानक रेखा को स्मूच करने लगे, रेखा को इस सीन के बारे में पहले कुछ भी नहीं बताया गया था, लेकिन रेखा ने धैर्य बनाए रखा और डायरेक्टर के सामने कैमरा रोल होता गया। ये सब करीब 5 मिनट तक चला। इस दौरान वहां पर मौजूद सभी क्रू मेंबर जोर-जोर से हंस रहे थे। खुद रेखा अंदर से रो रहीं थीं, लेकिन पहली फिल्म होने के कारण उन्होंने अपने इमोशन को चेहरे पर नहीं लाने दिया। बाद में जब रेखा को इस मजाक के बारे में पता चला तो वो फूट-फूट कर रोईं थीं। उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाने की सोची भी। लेकिन उन्होंने बुरा अंजाम भुगतने के डर से चुप रहना उचित समझा क्योंकि उस समय रेखा की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और उन्हें फिल्मों में अपना मुकाम भी बनाना था। बहरहाल, उनकी अगली फ़िल्म ‘सावन भादों’ थी। तब वो महज 16 साल की थीं। उन्हें साउथ से आई सेक्स बम की संज्ञा दी गई थी। उस दौर की अनेक फिल्में उनके साधारण अभिनेत्री होने की गवाह हैं। 

डायरेक्टर दुलाल गुहा की फिल्म ‘दो अंजाने’ (1973) में रेखा (Rekha) ने अमिताभ बच्चन की लालची पत्नी का रोल निभाया। इसी फिल्म से उन्होंने एक अच्छी अभिनेत्री होने की झलक दिखायी। फिल्म ‘मुकद्दर का सिंकंदर’ और ‘घर’ ने रेखा को फिल्म इंडस्ट्री की बोल्ड अदाकारा के तौर पर स्थापित कर दिया। इसके बाद रेखा ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। एक से बढ़ कर एक लीड रोल में वो दिखने लगीं। डायरेक्टर उनकी एक्टिंग की गहराई के मुताबिक किरदार लिखवाने लगे। फिल्म ‘खूबसूरत’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया। अगला अवॉर्ड  ‘खून भरी मांग’ के लिए दिया गया। ये उस समय मिला जब माना जा रहा था कि रेखा का जादू अब फीका पड़ने लगा है। फिल्मफेयर का एक और अवॉर्ड रेखा को ‘खिलाडियों का खिलाड़ी’ के लिए दिया गया। जिसमें उन्हें बेस्ट विलेन के रोल के लिए चुना गया था।

डायरेक्टर मुज़फ्फर अली 1981 में जब ‘उमराव जान’ की तवायफ तलाश रहे थे तो उन्हें किसी ने सुझाव दिया कि ‘मुकद्दर का सिकंदर’ और ‘सुहाग’ की रेखा (Rekha) के बारे में सोचें और इसके बाद रेखा उमराव की ‘जान’  बन गयीं। इसके फिल्म के लिए रेखा को बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड दिया गया।

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परदे की दुनिया से बाहर रेखा (Rekha) के कई लव अफेयर्स भी चर्चा में रहे। विनोद मेहरा से लेकर किरण कुमार तक, सभी के साथ रेखा का नाम जुड़ा। विनोद मेहरा और रेखा ने कोलकाता में शादी भी कर ली थी। लेकिन जब शादी के बाद दोनो मुंबई में विनोद के घर पहुंचे तो रेखा की सास ने उन्हें अपनाने से इंकार कर दिया। हद तो तब हो गई जब रेखा आशीर्वाद लेने के लिए विनोद के मां के चरणों को छूना चाहा तो उन्होंने रेखा को मारने के लिए अपनी चप्पल उठा ली। विनोद के सामने अपने साथ हुए इस व्यवहार से वो टूट गईं और अपने घर चली गईं।  

इतिहास में आज का दिन – 10 अक्टूबर

लेकिन अमिताभ बच्चन के साथ रेखा (Rekha) के रिश्ते को लेकर गॉसिप की दुनिया ने खूब चटखारे लिए। इन दोनों ने कई फिल्मों में साथ में काम किया और ये इन दोनों की केमेस्ट्री ही थी कि सभी फिल्में हिट रहीं। सिनेमा स्क्रीन पर इनको देख कर लगता था कि ये एक दूजे के लिए ही बने हैं। बताते हैं कि जया बच्चन से मिली फटकार के बाद रेखा मान गयी कि वो किसी का घर उजाड़ कर और किसी पत्नी का दिल तोड़ कर अपना घर नहीं बसायेगीं। इस किस्से की गिनती फिल्म इंडस्ट्री की टाप 10 लव स्टोरिज में होती है। इस विवादित और चर्चित अफ़साने का दि एंड भी खासा चर्चित और ड्रामाई रहा। यश चोपड़ा ने ‘सिलसिला’ बना कर रेखा-अमिताभ-जया के प्रेम त्रिकोण को एक खूबसूरत मोड़ देकर दफ़न कर दिया।

इसके बाद रेखा (Rekha) ने 1990 में दिल्ली के कारोबारी मुकेश अग्रवाल से शादी करके सारी अफवाहों पर पूर्ण विराम लगा दिया। हालांकि शादी के 6 महीने बाद ही रेखा ने मुकेश से तलाक की अर्जी दाखिल कर दी थी। रिश्ते में आए इस बदलाव को मुकेश सहन नहीं कर पाए और शादी के एक साल बाद ही मुकेश ने रेखा के दुप्पटे से लटकर आत्महत्या कर ली। इस घटना ने रेखा को फिर से तन्हा कर दिया।

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लेकिन रेखा (Rekha) के माथे पर लाल सिंदूर आज भी लोगों को रहस्यमयी लगता है। रेखा विधवा होते हुए भी सालों से सिंदूर लगाकर घूमती हैं। लेकिन ये बहुत कम ही लोग जानते हैं कि रेखा 80 के दशक से सिंदूर लगाती हैं। दरअसल 22 जनवरी, 1980 को इंडस्ट्री की उनकी खास दोस्त नीतू सिंह और ऋषि कपूर की शादी थी। उस समय फिल्म इंडस्ट्री के सभी बड़े नाम वहां मौजूद थे। अमिताभ बच्चन भी अपनी पत्नी और माता-पिता के साथ वहां पहुंचे थे। जब सभी नीतू और ऋषि की शादी को देख रहे थे उसी समय रेखा ने सफेद साड़ी, माथे पर सिंदूर और गले में मंगलसूत्र  पहने वहां पर एंट्री की। रेखा को इस रूप में देखकर सबसे होश उड़ गए यहां तक कि वहां मौजूद फोटोग्राफर भी नीतू-ऋषि को छोड़कर रेखा के इस लूक की तरफ आकर्षित हो गए। खैर, रेखा ने नीतू-ऋषि को बधाई देकर आर के स्टूडियो के बगीचे में जाकर खड़ी हो गईं और वहीं से अमिताभ बच्चन को एक टक देखने लगीं। जब अमिताभ के पास से जया कहीं और चली गईं तो वो अमिताभ के पास जाकर उनसे बातें करने लगीं। वहां मौजूद सभी गेस्टों की नजरें अब इन दोनों पर टिक गईं। अमिताभ के साथ इस सामान्य बातचीत के दौरान रेखा की आंखें नम भी हुईं, जिसे वहां मौजूद कई लोगों ने नोटिस भी किया। हालांकि बाद में रेखा ने ये कह कर सफाई दे दी कि वो इस शादी में सीधे अपने एक शूट से आ रही हैं और सीन में पहने हुए मंगलसूत्र और माथे पर लगे सिंदूर को निकालना भूल गईं। इस घटना के बाद कई मौके ऐसे आए जब लोगों ने रेखा से इस सिंदूर के बारे में पूछा और रेखा ने हर बार ये ही जवाब दिया कि वो जिस इंडस्ट्री से आती हैं वहां पर सिंदूर लगाना एक फैशन की तरह है। 

भारत सरकार ने रेखा (Rekha) को पदमश्री दिया और 2012 में राज्यसभा की सदस्य बनाया। रेखा ने सैकड़ों फिल्मों में काम किया है। लेकिन यह यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है। भले ही रेखा की उम्र बढ़ी है, लेकिन वो  फिटनेस की एक जीवंत उदाहरण हैं। आज की पीढ़ी अक्सर उनसे ये पूछती रहती है कि आखिर वो क्या खाती-पीती हैं?

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