Birth Anniversary: देशभक्ति गीतों के उस्ताद थे प्रेम धवन, इनकी लोरी आज भी हर जुबान पर मौजूद

Birth Anniversary: आज जन्मदिन है उस नायब फनकार का जिनकी कलम से निकले गीतों के बिना हमारी आजादी का जश्न अधूरा है।

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आज मशहूर गीतकार प्रेम धवन का जन्मदिन है।

आज जन्मदिन है उस नायब फनकार का जिनकी कलम से निकले गीतों के बिना हमारी आजादी का जश्न अधूरा है। आज जन्मदिन है प्रेम धवन का। जिनकी कलम ने आजादी के लिए लड़ते-लड़ते अपनी जान कुर्बान कर देने वाले वीरों की तस्वीर को गीत में पिरो दिया। जिनके गीत गुनगुना कर हम देश प्रेम से सराबोर हो उठते हैं। प्रेम धवन, जिनके गीत एक नई सुबह की आवाज लगाते हैं और हौसलों को नई उड़ान दे जाते हैं। उनके गीतों को सुन कभी हमारी आंखें नम हो जाती हैं, तो कभी देश पर मर मिटने का जज्बा अंगड़ाई लेने लगता है। उनके गीतों ने देश के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। उनके गीतों को सुन कभी हमारा सिर फख्र से ऊंचा हो जाता है, तो कभी शहीदों के सम्मान में झुक जाता है। उनके गाने गुलामी के दिनों की पीड़ा को हमारे सामने ला कर रख देते हैं।

उनकी लिखी लोरी- ‘चंदा मामा दूर के…’ सुने बिना शायद ही कोई बच्चा बड़ा हुआ हो। ‘ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी कसम…’, ‘ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन, तुझपे दिल कुर्बान….’, ‘मेरा रंग दे बसंती चोला…’ इन गीतों को तो हम सब अक्सर गुनगुनाते रहते हैं। लेकिन इस शख्सियत को हम आज लगभग भूल चुके हैं। ‘छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी, नए दौर में लिखेंगे हम मिल कर नई कहानी, हम हिंदुस्तानी…’ सरीखे गीतों के जरिये अपने पैरों पर खड़े हो रहे आजाद हिंदुस्तान को हौसला देते प्रेम धवन को परिचय का मोहताज नहीं होना चाहिए। हिंदुस्तान के हर रंग को अपने गीतों की रंगोली में सजा देने वाले प्रेम धवन सिर्फ गीतकार ही नहीं थे। वे अच्छे संगीतकार, नर्तक, डांस डायरेक्टर और एक्टर भी थे। 13 जून, 1923 को अम्बाला में इनका जन्म हुआ था।

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई लाहौर के मशहूर एफ.सी कॉलेज से पूरी की। प्रेम धवन ने संगीत की शिक्षा पंडित रवि शंकर से हासिल की। उन्होंने उदय शंकर से नृत्य की भी शिक्षा ली। प्रेम धवन ने अपने सिने करियर की शुरूआत संगीतकार खुर्शीद अनवर के सहायक के तौर पर वर्ष 1946 में प्रदर्शित फिल्म ‘पगडंडी’ से की। बतौर गीतकार उन्हें वर्ष 1948 में बांबे टॉकीज निर्मित फिल्म ‘जिद्दी’ में गीत लिखने का मौका मिला। लेकिन फिल्म की असफलता के चलते वह कुछ खास पहचान नहीं बना पाए। वर्ष 1955 में प्रदर्शित फिल्म ‘वचन’ की कामयाबी के बाद प्रेम धवन बतौर गीतकार कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए। फिल्म ‘वचन’ का यह गीत ‘चंदा मामा दूर के…’ श्रोताओं में आज भी लोकप्रिय है। इसके बाद वर्ष 1956 में प्रेम धवन ने फिल्म ‘जागते रहो’ के लिए ‘जागो मोहन प्यारे…’ गीत लिखा जो काफी हिट हुआ।

वर्ष 1961 में संगीत निर्देशक सलिल चौधरी के संगीत निर्देशन में फिल्म ‘काबुलीवाला’ की सफलता के बाद प्रेम धवन शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुंचे। फिल्म ‘काबुलीवाला’ में प्लेबैक सिंगर मन्ना डे की आवाज में प्रेम धवन का यह गीत ‘ए मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन…’ आज भी श्रोताओं की आंखों को नम कर देता है। इन सबके साथ वर्ष 1961 में प्रेम धवन की एक और सुपरहिट फिल्म ‘हम हिंदुस्तानी’ प्रदर्शित हुई जिसका गीत ‘छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी…’ सुपरहिट हुआ। वर्ष 1965 प्रेम धवन के सिने करियर का अहम वर्ष साबित हुआ। अभिनेता मनोज कुमार के कहने पर प्रेम धवन ने फिल्म ‘शहीद’ के लिए संगीत निर्देशन किया।

यूं तो फिल्म ‘शहीद’ के सभी गीत सुपरहिट हुए लेकिन ‘ऐ वतन, ऐ वतन…’ और ‘मेरा रंग दे बंसती चोला…’ आज भी श्रोताओं में बहुत लोकप्रिय है। प्रेम साहब ने सिर्फ देश भक्ति गीत ही नहीं लिखे, हिंदी फिल्मों में उनके लिखे सदाबहार गीतों को बॉलीवुड के गोल्डेन एरा फिल्मों में खूब इस्तेमाल किया गया। उनके लाजवाब और बेमिसाल गाने संगीत जगत की शान हैं। प्रेम धवन साहब एक शख्सियत नहीं थे, वे अपने आप में एक कारवां थे। 7 मई, 2001 को प्रेम धवन ने जब इस दुनिया से विदा ली वो 78 वर्ष के थे। प्रेम धवन ने अपनी रचनाओं की जो अनमोल धरोहर छोड़ी है, वो कभी धुंधला नहीं हो सकेगा। उनके गीत हमारे जेहन में हमेशा गूंजते रहेंगे।

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