सच के सिपाही

युद्ध के दौरान चौहान बॉम्बे इंजिनियरिंग रेजिमेंट में सूबेदार थे और जीरा सेक्टर में पोस्टेड थे। पंजाब के पास जीरा सेक्टर में दुश्मनों ने हवाई हमला बोल दिया था।

ऑपरेशन के दौरान चोटी पर पहुंचने के बाद राइफलमैन संजय कुमार पाकिस्तानी सेना के एक बंकर से की जा रही भारी गोलाबारी की चपेट में आ गए।

खतरों के बीच सेना इन आतंकियों के ठिकानों में सर्च ऑपरेशन को अंजाम देती है। सर्च ऑपरेशन काफी विश्वसनीय सूत्रों से हासिल इनपुट यानी सूचनाओं के आधार पर किए जाते हैं।

भारत के सैनिक सीमा पर देश की रक्षा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते। अपनी जान की बाजी लगाकर सैनिकों ने कई मौकों पर इस बात को साबित भी किया है। सैनिकों के अंदर देश के लिए कुछ कर जाने का एक जज्बा होता है।

युद्ध में सेना के मात्र 120 जवानों ने दुश्मन देश के 38 पैटन टैंक को ध्वस्त कर दिया था। वह भी तब जब पाक आर्मी के कम से कम 2 हजार जवानों से उनका मुकाबला था।

सेना हमेशा की तरह अलर्ट पर थी और इस पनडुब्बी के जरिए भारत को होने वाले नुकसान से पहले हमारे दो पोत आईएनएस खुखरी और कृपाण इसे नष्ट करने निकल पड़े थे।

वीर भोग्य वसुंधरा, यानी वीर अपने शस्त्र की ताकत से ही मातृभूमि की रक्षा करते हैं। इस रेजीमेंट की भारत-पाक युद्ध 1948, 1965,1971 और 1999 में भूमिका रही है।

जब कोई विमान किसी देश की सीमा पार कर उनके हवाई क्षेत्र में गश्त लगाने लगता है तो इसे हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करार दिया जाता है।

दुश्मन के सामने हम किसी भी तरह कमजोर साबित न हो इसके लिए पूरा दमखम लगा दिया गया था। कारगिल की पहाड़ी विश्व की सबसे ऊंची पहाड़ियों में गिनी जाती है।

भारत को 1947 में अंग्रेजों से आजादी के बाद अपनी थलसेना, वायुसेना और नौसेना मिली। सेना आजादी के बाद लड़े गए हर युद्ध में अहम भूमिका निभाते हुए दुश्मनों से टक्कर ली और जीत भी दिलाई।

पश्चिम बंगाल के मेताला के घने बीहड़ में माओवादियों एरिया कमांडर सिधु सोरेन आस-पास के क्षेत्रों के सभी नक्सलियों को एकत्रित कर बड़े हमले की प्लानिंग में था। इससे पहले के हमलों को केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स ने बुरी तरह से विफल किया था।

कारगिल युद्ध (Kargl War) में भारत ने पाकिस्तान को हराकर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था। भारत ने दिखा दिया था कि उनकी जमीन पर कब्जा करने की चाह रखने वालों को किस तरह से नेस्तनाबूद किया जाएगा।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध (War of 1971) में हमारी सेना ने एकतरफा जीत हासिल की थी। इस युद्ध में पाकिस्तान को भारी नुकसान झेलना पड़ा था।

युद्ध में हिस्सा लेने वाले जवान गांव नाहड़ निवासी सूबेदार मेजर अमर सिंह भी शामिल हुए थे। उन्होंने बताया है कि वे कैसे जंग के मैदान में लड़े थे।

चीन को जब-जब सबक सिखाने की जरूरत महसूस हुई है इस रेजीमेंट के जवानों ने बखूबी अपना काम किया है। यही वजह है कि इसे अन्य रेजीमेंट से बेहद ही अलग माना जाता है।

बिहार रेजीमेंट (Bihar Regiment) भारतीय सेना (Indian Army) का एक बेहद ही अहम हिस्सा है। बिहार रेजीमेंट के जवान घुसैपठ को नाकाम करने और मौके पर मोर्चा संभाल कर स्थिति को अपने कंट्रोल में लेने में माहिर होते हैं।

अयोध्या पर 2005 में आतंवादियों ने हमले की फिराक से परिसर में घुसपैठ की थी। बड़े हमले की प्लानिंग कर राम मंदिर परिसर में घुसे 5-6 आतंकियों के मंसूबों पर सुरक्षा में तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) ने पानी फेर दिया था।

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