martyrs of pulwama pankaj tripathi vijay maurya
Pulwama Attack: 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में शहीद हुए जवानों में पंजाब के चार सपूत शामिल हैं। आतंकियों के हमले में रूपनगर के नूरपुरबेदी ब्लॉक के गांव रोली के सिपाही कुलविंदर सिंह, तरनतारन के गांव गंडीविंड धत्तल के सुखविंदर सिंह, मोगा जिले के कस्बा कोट ईसे खां के जयमल सिंह और गुरदासपुर के दीनानगर-क्षेत्र आरिया नगर के मनिंदर सिंह शहीद हो गए।
रोली गांव के कुलविंदर सिंह घर में इकलौते बेटे थे और घर में अकेले कमाने वाले थे। उनकी शादी 11 नवंबर को होनी थी। घर में खुशियों का माहौल था जो एकदम से मातम में बदल गया। 26 साल के कुलविंदर की शहादत पर गांव वाले गर्व कर रहे हैं। पर उनको इस बात का दुख भी है कि वह घर के इकलौते चिराग थे। 4 साल पहले ही वह फौज में भर्ती हुए थे। उनकी शादी तय होने से घर में खुशियों का माहौल था। घर में उनकी मां हैं जो बीमार रहती हैं। पिता ट्रक ड्राइवर हैं। पर उनका ड्राइविंग लाइसेंस खत्म होने की वजह से वे घर पर ही रहते हैं। साथ में बूढे दादा भी रहते हैं। घर का मातमी माहौल पसरा है। फिर भी घर वालों और गांव वासियों को कुलविंदर की शहादत पर गर्व है। कुलविंदर 10 तारीख को ही गांव से छुट्टियां बीता कर वापस ड्यूटी पर गए थे।
पुलवामा में तरनतारन के गांव गंडीविंड धत्तल के सुखजिंदर सिंह ने 14 फरवरी की सुबह ही भाई से फोन पर बता की थी। पर कुछ ही समय बाद आतंकी हमले में उनके शहीद होने की खबर आ गई। शहीद के माता-पिता और अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है। सुखजिंदर का महज आठ माह का बेटा है।
मोगा जिले के कस्बा कोट ईसे खां के जयमल सिंह भी इसी आतंकी वारदात में शहीद हो गए हैं। बताया जाता है कि आत्मघाती आतंकी ने सीआरपीएफ की जिस बस को उड़ाया जयमल सिंह उसके चालक थे। पति की शहादत की खबर से जयमल सिंह की पत्नी की बुरी हालत है। जयमल सिंह के भाई नसीब सिंह मलेशिया में हैं। घटना की सूचना मिलते ही वह मलेशिया से मोगा के लिए रवाना हो गए।
गुरदासपुर के दीनानगर-क्षेत्र के आरिया नगर के 27 साल के जवान मनिंदर सिंह भी शहीद हो गए। मनिंदर सिंह की अभी शादी भी नहीं हुई थी। उनके पिता सतपाल सिंह पंजाब रोडवेज विभाग से सेवानिवृत्त हुए है। मनिंदर के दूसरे भाई भी सीआरपीएफ में तैनात हैं। उनकी मां का निधन हो चुका है। मनिंदर सिंह ने बीटेक किया था। एक साल पहले ही वह सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। दो दिन पहले ही वह अपने पिता से मिलकर गए थे। उनके पिता का कहना है कि उन्हें वीरवार की रात 12 बजे किसी अधिकारी का फोन आया था कि उनका बेटा शहीद हो गया है। उनको जहां एक तरफ अपने बेटे की शहादत पर गर्व है, तो दूसरी ओर सरकार पर गुस्सा भी है कि सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कोई सख्त कदम क्यों नहीं उठा रही है।
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