Pulwama Attack: 22 दिन के बेटे का नामकरण भी नहीं कर पाए शहीद तिलकराज

शहीद तिलक राज के 22 दिन के बेटे ने तो अबतक अपने पिता को ठीक से पहचाना भी नहीं है। उनके जाने के तीन दिन बाद ही उसकी पत्नी को यह मनहूस खबर मिली कि उसका सुहाग उजड़ गया है। तिलक को लोकगायकी का भी शौक था। ड्यूटी के दौरान सीमा पर देश की रक्षा करने वाले तिलक घर पहुंचने पर गाने रिकॉर्ड करते थे। उन्होंने कई पहाड़ी गाने गाए हैं।

martyr tilak raj

शहीद तिलक राज

Pulwama Attack: पुलवामा आतंकी हमले में हिमाचल का भी एक लाल शहीद हुआ है। जम्मू कश्मीर में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के तिलक राज भी शामिल थे। पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुआ हमला राज्य में अब तक हुए हमलों में से बेहद भयानक है।

सीआरपीएफ के कांस्टेबल तिलक राज, कांगड़ा जिले के ज्वाली सब डिविजन के ग्राम-पंचायत नाना के जंदरोह धेवा गांव के रहने वाले थे। तिलक राज की शहादत से पूरे गांव में मातम पसरा है। इस आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के 40 जवानों में से एक तिलक राज के परिवार में कुछ समय पहले ही बच्चे की किलकारी गूंजी थी।

22 दिन पहले ही तिलक राज के घर बेटे ने जन्म लिया था। 11 फरवरी को तिलक घर आए थे। परिवार वालों ने पत्नी सावित्री देवी की डिलीवरी और बच्चे के नामकरण के लिए उन्हें घर बुलाया था। लेकिन 22 दिन में ही बेटे के सिर से पिता का साया उठ गया। उनके जाने के तीन दिन बाद ही उसकी पत्नी को यह मनहूस खबर मिली कि उसका सुहाग उजड़ गया है। शहीद तिलक राज बेटे का नामकरण भी नहीं कर पाए। तीन दिन पहले घर से जिस बेटे का माथा चूमकर वे निकले थे वह पिता की शहादत से अनजान है। 22 दिन के बेटे ने तो अबतक अपने पिता को ठीक से पहचाना भी नहीं है। पत्नी सावित्री सुबकती आंखों से पालने में अपने दूधमुंहे बच्चे को टकटकी लगाकर देख रही है।

परिवार में पत्नी के अलावा माता-पिता और बड़े भाई हैं। उनका एक और बेटा है जो अभी तीन साल का है। पिता खेतीबाड़ी करते हैं और बड़े भाई बलदेव पंजाब में ठेके पर सेल्समैन की नौकरी करते हैं। तिलक ही परिवार का एकमात्र सहारा थे। वे तीन दिन पहले ही अपने घर से छुट्टी बिताकर वापस यूनिट लौटे थे।

आज से चार साल पहले पिता लायक राम व मां बिमला देवी ने जिन हाथों से बेटे का सेहरा सजाया था वही हाथ अब बेटे की अर्थी सजाएंगे। घर में दूसरे बेटे के जन्म की खुशियां पूरे खुमार पर थीं और घर का तिलक ही खो गया। खुशियां मातम में बदल गईं। तिलक राज 14 फरवरी को फुलवामा में हुए आतंकी हमले में घायल हो गए थे। कश्मीर में सेना के अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। शहीद के पिता लायक राम, माता बिमला देवी को गर्व है कि उनका लाल देश के काम आया।

गायकी, खेल और देशभक्ति के जज्बे से भरे तिलकराज की शहादत की खबर सुनते ही पूरा धेवा गांव गमगीन हो गया। तिलक राज कबड्डी खिलाड़ी थे। वह सीआरपीएफ से छुट्टी आने के बाद घर में घरेलू कबड्डी प्रतियोगिता में हारचक्कियां टीम की ओर से खेलते थे। हाल ही में उन्होंने गांव के अन्य साथियों के साथ मिलकर हारचक्कियां में कबड्डी प्रतियोगिता शुरू की थी।

तिलक को लोकगायकी का भी शौक था। ड्यूटी के दौरान सीमा पर देश की रक्षा करने वाले तिलक घर पहुंचने पर गाने रिकॉर्ड करते थे। उन्होंने कई पहाड़ी गाने गाए हैं। सात महीने पहले रिलीज हुआ उनके गाने ‘सिधु मेरा बड़ा ओ शराब हो भ्यागा ही इचि रंदा ठेके…’ और ‘प्यारी मोनिका…’ बहुत फेमस हुए हैं।

तिलक ने 13 फरवरी को अपनी फेसबुक आइडी पर अंतिम बार अपडेट किया था। उन्होंने धौलाधार क्लब की ओर से धेबा में आयोजित कबड्डी प्रतियोगिता की विजेता टीम हारचक्कियां की फोटो डाली थी और आयोजन के बारे में कुछ जानकारी भी दी थी। उनके दोस्त ने बताया कि तिलक ने कहा था कि अगली बार छुट्टियों में जब घर आएंगे तो अगले गाने की रिकॉर्डिंग कर उसे रिलीज करेंगे।

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