Pulwama Attack: कहा था “मेरी फोटो खींच कर रख लो पता नहीं कब बम विस्फोट हो और मैं चला जाऊं…” क्या पता था कि उनकी यह बात सच हो जाएगी

छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर जाते हुए मानेश्वर ने परिवार के लोगों से बातचीत करते हुए कहा था कि मेरी फोटो खींच कर रख लो पता नहीं कब बम विस्फोट हो और मैं चला जाऊं। क्या पता था कि उनकी यह बात सच हो जाएगी।

pulwama attack asam martyr

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Pulwama Attack: सीआरपीएफ की 98वीं बटालियन के हेड कॉन्स्टेबल मानेश्वर बासुमतारी उन 40 जवानों में थे जो 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकवादी हमले में शहीद हो गए। वे असम के बाक्सा जिले के तामूलपुर थाना के कालीबारी गांव के रहने वाले थे। उनके परिवार में बेटी दीदमास्वरी, पत्नी सन्माटी और एक बेटा है। दीदमास्वरी ने कहा कि हम न्याय चाहते हैं। पुलवामा हमले के लिए जिम्मेदार कायरों को करारा जवाब दिया जाए। सन्माटी ने सिसकते हुए कहा कि बासुमतारी हाल ही में गांव आए थे। वह इससे आगे कुछ नहीं बोल नहीं पायीं।

बसुमतारी अपनी एक महीने की छुट्टी घरवालों के साथ बिताने के बाद 4 फरवरी को कश्मीर लौटे थे। इसके बाद अचानक 14 फरवरी को दोपहर में मोबाइल के जरिए परिजनों को सूचना मिली कि वे आत्मघाती हमले में शहीद हो गए हैं। इस सूचना के बाद पूरे गांव में मातम पसर गया। परिजन इस खबर से गमगीन हैं। 

मानेश्वर पिछले 19 साल से सेना में थे। वे 1990 में सीआरपीएफ से जुड़े थे। इसके बाद से वे देश के अलग-अलग हिस्सों में तैनात रहे। वे सीआरपीएफ की 98वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात थे।

मानेश्वर ने 14 फरवरी की सुबह पत्नी को फोन कर बताया था कि रास्ता खुल गया है। उनका काफिला बहुत जल्द निकलने वाला है। इस बार छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर जाते हुए परिवार के लोगों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा था कि मेरी फोटो खींच कर रख लो पता नहीं कब बम विस्फोट हो और मैं चला जाऊं। क्या पता था कि उनकी यह बात सच हो जाएगी।

पुलवामा में शहीद हुए सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल मानेश्वर बासुमतारी की बेटी की मांग है कि पिता की हत्या करने के लिए षड्यंत्रकर्ताओं को दंडित किया जाना चाहिए। भारत सरकार इस आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए। वरना देश के वीर जवान इसी तरह शहीद होते रहेंगे।

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