घर वाले निकाह के लिए लड़की ढूंढ रहे थे लेकिन इशरार ने शहादत को कर लिया कबूल

4 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के कांकेर में हुए नक्सली हमले में शहीद होने वाले बीएसएफ के 4 जवानों में झारखंड के धनबाद के लोधना के रहने वाले इशरार खान भी हैं। शहीद मोहम्मद इशरार खान बीएसएफ के 114वीं बटालियन में थे।  उनका परिवार लोधना के साउथ गोलकडीह में रहता है। परिवार में सब उन्हें टिंकू कह कर बुलाते थे।

इशरार

बिलखते हुए शहीद इशरार खान के परिजन

4 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के कांकेर नक्सली हमले में शहीद होने वाले बीएसएफ के 4 जवानों में झारखंड के इशरार खान भी थे। शहीद मोहम्मद इशरार खान बीएसएफ के 114वीं बटालियन में थे। उनका परिवार धनबाद के लोधना के साउथ गोलकडीह में रहता है। परिवार में सब उन्हें टिंकू कह कर बुलाते थे।

शुरू से ही इशरार के अंदर देशसेवा का जज्बा था। उनके बचपन के मित्र सुनील कुमार बताते हैं कि जब कभी भी बचपन में देश की सुरक्षा की बात होती थी तो टिंकू कहता था कि मैं भी देश की सेवा करना चाहता हूं। कहता था मरे भी तो पूरे देश का सीना गर्व से चौड़ा करके मरेंगे।

साउथ गोलकडीह के मैदान में ही वे सेना में भर्ती होने के लिए तैयारी किया करते थे। शहीद इशरार खान ने 10वीं तक की पढ़ाई लोधना में ही की थी। उसके बाद उन्होंने झरिया के आरएसपी कॉलेज में इंटर में एडमिशन लिया। 2013 में, पढ़ाई के दौरान ही वे बीएसएफ में भर्ती हो गए थे।

आखिरी बार वे दिसंबर, 2018 में छुट्‌टी पर घर आए थे। 2 जनवरी, 2019 को छुट्‌टी खत्म होने के बाद वह वापस छत्तीसगढ़ ड्यूटी पर लौटे थे। इशरार रोज शाम को अपनी मां खैरून निशां से फोन पर बात किया करते थे। 4 अप्रैल की शाम भी उनकी मां उनके फोन का इंतजार कर रही थीं, पर उन्हें क्या पता था कि कॉल की जगह उनके शहादत की खबर आएगी।

इशरार
कांकेर नक्सल अटैक में शहीद हुए इशरार खान

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ के कांकेर में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में BSF के 4 जवान शहीद, 2 जख्मी

शाम करीब छह बजे इशरार के एक दोस्त ने उनके बड़े भाई के मोबाइल पर उनकी शहादत की खबर और तस्वीरें भेजीं। यह खबर सुनकर परिवार में कोहराम मच गया। उनकी मां बार-बार बेहोश हो रही थीं। शहीद इशरार खान के पिता मोहम्मद आजाद खान ने खुद को संभालते हुए कहा कि उन्हें गर्व है कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ है।

जिस दिन बेटे को सेना में भेजा था, उसी दिन उसे देश के नाम समर्पित कर दिया था। बीएसएफ जॉइन करने के बाद इशरार की पहली पोस्टिंग बंगाल के मालदा में हुई थी। पहली बार जब वे बीएसएफ की वर्दी में घर पहुंचे थे तो परिवार गर्व से फूला नहीं समा रहा था। दो साल पहले उनकी पोस्टिंग मालदा से छत्तीसगढ़ में हुई थी।

शहीद इशरार खान का परिवार मूल रूप से गिरिडीह जिले के देवरी थाना के खोरीडीह का रहने वाला है। उनके पूर्वज रोजगार की तलाश में लोधना आ गए थे। लेकिन अभी भी वे लोग गिरिडीह अपने पैतृक गांव जाते हैं। उनके परिवार में माता-पिता और पांच भाई-बहन हैं। इशरार अपने चार भाइयों में से तीसरे नंबर के थे।

यह भी पढ़ें: 24 घंटे के भीतर छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का दूसरा हमला, एक जवान शहीद

दो बड़े भाई इकबाल और इमरान झरिया में सिलाई का काम करते हैं। छोटे भाई इरफान ने बीकॉम की पढ़ाई पूरी की है। पिता आजाद खान घूम-घूम कर बिस्किट बेचते हैं। उनकी एक बहन हैं, रूबी खान। बहन की शादी हो चुकी है।

शहीद इशरार खान की अभी शादी नहीं हुई थी। घर वाले उनके लिए रिश्ते देख रहे थे। इशरार के पिता ने बताया कि बीएसएफ में जाने के बाद से ही उनके निकाह के लिए रिश्ते आने शुरू हो गए थे। वे भी चाहते थे कि बेटे का निकाह जल्द हो जाए। पर, अल्लाह को शायद यह मंज़ूर नहीं था।

झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शहीद इशरार के परिजनों को 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। 4 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा कि उग्रवादी मुठभेड़ में शहीद झारखंड के वीर सपूत इशरार खान की शहादत पर हर प्रदेशवासी को गर्व है।

यह भी पढ़ें: पुलवामा जैसी घटना रोकने के लिए हफ्ते में दो दिन बंद रहेगा बारामूला-उधमपुर हाइवे

 

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें