जमीन पर लेटकर महिलाओं ने दी शहीद खंजन को आखिरी विदाई

Naxals

नक्सलियों (Naxals) के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए राहे प्रखंड के चैनपुर निवासी खंजन कुमार महतो का शव गांव में पहुंचा तो हाहाकार मच गया। 23 साल के खंजन जगुआर एसटीएफ में तैनात थे।

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शुक्रवार को नक्सली हमले में शहीद खंजन के पार्थिव शरीर को लेकर जब बुंडू एसडीओ राजेश साह और डीएसपी अशोक प्रियदर्शी गांव में पहुंचे तो गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था। परिजनों के साथ गांव के हर शख्स की आंखे नम थी। सभी ने शहीद खंजन को उसके आंगन में सलामी दी गई। शहीद की अंतिम यात्रा गांव से कोकरो नदी के घाट तक गई। अंतिम यात्रा में पूरा गांव साथ था। महिलाओँ ने जमीन में लेट कर शहीद जवान को विदाई दी।

शहीद के पिता अनन्त प्रसाद महतो रांची जिला बल में कार्यरत हैं। माता गौरी देवी बच्चों के साथ चार साल से राची में रहती हैं। पिता अनन्त महतो के अनुसार शुक्रवार को वे गांव में ही थे। सुबह 6 बजे जगुआर मुख्यालय जान रहे थे है। उन्होंने उसके लिए बाकायदा गाड़ी भी पकड़ ली थी, लेकिन रांची जाने के रास्ते में ही उन्हें बेटे की शहादत की खबर मिल गई थी।

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सहयोगी जवान नरेश महतो के अनुसार वे लोग रात 2 बजे मुख्यालय से अभियान के लिए निकले। 3 बजे सुबह में उनकी खंजन से अंतिम बात हुई। सुबह 5 बजे अचानक गोलीबारी बंद हुई तब उन्हें खंजन की शहादत की सूचना मिली। आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश महतो ने भी गांव में पहुंच कर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की।

दरअसल ये घटना उस वक्त घटी जब रात को सुरक्षाबलों की टीम पैदल ही सर्च अभियान के लिए निकली थी। पुलिस जैसे ही दशमफॉल, डाकापीढ़ी और अड़की जाने के रास्ते के मुहाने पर पहुंची। तभी सामने से एक ग्रामीण आता दिखाई दिया। पुलिस की एक टुकड़ी ने ग्रामीण को रोककर पूछताछ कर ही रही थी कि इसी दौरान अचानक ही झाड़ियों से छिपकर नक्सलियों (Naxals) ने फायरिंग शुरू कर दी। ये सबकुछ इतनी तेजी से हुआ कि जवानों को संभलने का मौका ही नहीं मिला और नक्सलियों (Naxals) की गोली से दो जवान घायल हो गए थे। जब तक जवान हरकत में आते तब तक वो ग्रामीण और माओवादी वहां से फरार हो गए।

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