शहीद औरंगजेब के दो भाई सेना में शामिल, आतंकवाद के खिलाफ जंग को जारी रखेंगे दोनों

एक औरंगजेब कुर्बानी देता है तो कई और औरंगजेब वतन की हिफाजत के लिए अपनी बलि देने के लिए उठ खड़े होते हैं। इसका जीवंत उदाहरण हैं शहीद औरंगजेब के दो भाई।

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शहीद औरंगजेब के दो भाइयों ने सेना ज्वॉइन कर लिया है।

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सेना के जांबाज सिपाही औरंगजेब को कौन भूल सकता है। कश्मीर घाटी में आतंकवादियों ने 14 जून, 2018 को इस दिलेर की बर्बरता से हत्या कर दी थी। वे ईद मनाने अपने घर पुंछ के सलानी गांव आ रहे थे, इसी दौरान पुलवामा के कालम्पोरा से आतंकियों ने उन्हें अगवा कर लिया था। भारत सरकार द्वारा मरणोपरांत उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। आतंकियों के इस कुकृत्य के बाद देशवासियों का गुस्सा चरम पर था। आतंक ने देश से एक शूरवीर छीन लिया। पर बुराई के खिलाफ जो लड़ाई शुरू हुई है उसे अंजाम तक पहुंचना ही है। यह लड़ाई तो शहादत मांगती ही है और इस देश की मिट्टी ने एक से बढ़ कर एक सूरमा पैदा भी किए हैं। एक औरंगजेब कुर्बानी देता है तो कई और औरंगजेब वतन की हिफाजत के लिए अपनी बलि देने के लिए उठ खड़े होते हैं। इसका जीवंत उदाहरण हैं शहीद औरंगजेब के दो भाई।

औरंगजेब ने जिस लड़ाई के लिए अपनी कुर्बानी दी थी, उनकी उस लड़ाई को अब उनके दो भाई मोहम्मद तारिक और मोहम्मद शब्बीर पूरी करेंगे। इसके लिए उनके इन दो भाइयों ने सेना की वर्दी पहन ली है। एक खास बात यह भी है कि औरंगजेब के पिता भी सैनिक रह चुके हैं। शहीद औरंगजेब के बड़े भाई मोहम्मद कासिम पहले से ही सेना में हैं और करीब 12 साल से सेना में सेवाएं दे रहे हैं। अब दो भाई और सेना में शामिल हो गए हैं। शायद यही वजह है कि उनके बेटों के खून में ही देशभक्ति भरी हुई है। बेटे के शहीद होने के बाद भी पिता के हौसले नहीं डगमगाए। औरंगजेब की शहादत के बाद उन्होंने अपने दोनों बेटों को सेना में भर्ती होने के लिए तैयार किया। ताकि दोनों बेटे मिलकर आतंकवाद के खिलाफ औरंगजेब की लड़ाई को जारी रख सकें।

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इसके अलावा औरंगजेब के दो और छोटे भाई  हैं, आसम और सोहेल। ये दोनों अभी पढाई कर रहे हैं। भाई की कुर्बानी जाया न हो, इसके लिए मोहम्मद तारिक और मोहम्मद शब्बीर भी अब आतंक के खिलाफ इस जंग के कूद पड़े हैं। शहीद औरंगजेब के दो भाई मोहम्मद तारिक और मोहम्मद शब्बीर सेना में बतौर सिपाही भर्ती हो चुके हैं। 22 जुलाई को राजौरी में आयोजित नामांकन परेड में दोनों ने भाग लिया। अब दोनों को ट्रेनिंग के लिए भेजा जाएगा। तारिक और शब्बीर ने मार्च में सुरनकोट में प्रादेशिक सेना भर्ती रैली में भाग लिया था। इस रैली में लगभग 11 हजार युवाओं ने भाग लिया था। जिसमें मात्र सौ लोग ही चुने गए थे।

शहीद औरंगजेब के पिता मोहम्मद हनीफ के मुताबिक, औरंगजेब की शहादत के बाद सेना ने उन आतंकवादियों को ढेर कर दिया था। पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अब भी जारी है। अब मेरे दोनों बेटे तारिक और शब्बीर भी आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं। दोनों भाई मिलकर आतंकवाद की जड़ खोदेंगे। उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि मेरे बेटे ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। अब मेरे दोनों बेटे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को निर्णायक अंजाम तक पहुंचाएंगे। इस पिता और इस परिवार का जज्बा घाटी में रह रहे लोगों के लिए एक मिसाल है। खास कर उनके लिए जो रास्ता भटक गए हैं।

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