बटला हाउस एनकाउंटर के शहीद मोहन चंद्र शर्मा, जिन्होंने अपने औलाद से पहले देश को रखा

बटला हाउस फिल्म बटला हाउस एनकाउंटर पर आधारित है। इस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के स्पेशल-सेल के डेकोरेटेड ऑफिसर मोहन चंद्र शर्मा शहीद हो गए थे।

Batla House Encounter martyr inspector mohan chand sharma

Mohan Chand Sharma

जब बच्चे बीमार हों और हॉस्पिटल में हों तो पिता वहां उनके पास होता है, उनकी देख-भाल करता है। पर एक पिता ऐसा भी था जो अपने बीमार बेटे को अस्पताल में छोड़ ड्यूटी पर निकल गया। क्योंकि उसे लोगों की रक्षा करनी थी, देश के प्रति अपना दायित्व निभाना था। डेंगू से बीमार बेटा बिस्तर पर पड़ा था, उसका ब्लड-ट्रांसफ्यूजन होना था, उसे पिता की जरूरत थी, उन्हें वहां होना था। पर वो तो निकल पड़े अपना फर्ज निभाने। ऐसे समय पर अपनी औलाद को छोड़ कर जाने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत होती है। ऐसा ही हिम्मतवाला था दिल्ली पुलिस का एक वीर जवान। हम बात कर रहे हैं दिल्ली के बटला हाउस कांड (Batla House Encounter) में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हुए इंसपेक्टर मोहन चंद शर्मा की। 35 आतंकवादियों को मार गिराने और लगभग 80 को गिरफ्तार करने वाले इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की।

शहीद मोहन चंद शर्मा दिल्ली पुलिस के स्पेशल-सेल के सबसे ज्यादा काबिल और डेकोरेटेड ऑफिसर्स में से एक थे। उनकी सर्विलांस की क्षमता गजब की थी। टीम में कोई भी बड़ा ऑपरेशन उनके बिना संभव नहीं था। लालकिला कांड, संसद-हमला और दिल्ली में हुए सीरियल बम धमाकों में शामिल आतंकवादियों को पकड़ने में भी शहीद शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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घायल अवस्था में मोहन चंद शर्मा

19 सितम्बर, 2008 को सुबह इंस्पेक्टर शर्मा को पता चला कि 13 सितंबर को दिल्ली में हुए सिरियल ब्लास्ट्स में शामिल आतंकी साउथ दिल्ली के जामिया नगर इलाके के हाउस एल-18 (बटला-हाउस) में छिपे हैं। उस वक्त वे द्वारका हॉस्पिटल में थे, जहां उनका छोटा बेटा भर्ती था। उसे डेंगू हुआ था। तीन दिन से शर्मा घर नहीं गए थे। वे बस ऑफिस, हॉस्पिटल और फील्ड का चक्कर लगा रहे थे। 13 सितंबर के ब्लास्ट के बाद उनकी जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ गई थी। उस दिन भी सूचना मिलते ही वो अस्पताल से सीधा ऑपरेशन के लिए निकल पड़े। उन्होंने बुलेट-प्रूफ जैकेट भी नहीं पहना था। अपनी सात लोगों की टीम के साथ वह बटला-हाउस के उस फ्लैट में पहुंचे जहां आतंकी छिपे थे। फ्लैट में प्रवेश करते ही आतंकियों की ओर से भीषण गोलीबारी होने लगी। सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई की। जिसमें दो आतंकी मारे गए तथा दो आतंकी पकड़ा गया। इस मुठभेड़ में श्री शर्मा को तीन गोलियां लगीं। उनके दो अन्य साथी घायल हो गए। इंस्पेक्टर शर्मा को एम्स लाया गया। बहुत खून बह चुका था, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई। देश ने अपना एक और वीर सपूत खो दिया। बटला हाउस एनकाउंटर को लेकर सियासत बहुत गर्माई। अब उसी एनकाउंटर पर बटला हाउस फिल्म बनी है।

शहीद मोहन चंद शर्मा

श्री शर्मा का जन्म 23 सितंबर, 1965 में हुआ था। वे उत्तराखंड के अल्मोरा के रहने वाले थे। 1989 में दिल्ली पुलिस में उन्होंने सब-इंस्पेक्टर के पद पर ज्वाइन किया और 19 सालों तक पुलिस की सेवा की। उनके अतुल्य बलिदान के लिए उन्हें 26 जनवरी, 2009 को मरणोपरांत अशोक-चक्र प्रदान किया गया। इससे पहले उनकी जांबाजी के लिए उन्हें राष्ट्रपति पदक, सात बार वीरता पुरस्कार समेत 150 पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।

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