दुश्मन भी बन गए थे कैप्टन विजेंद्र सिंह गुरुंग के मुरीद, पढ़ें एक युद्धबंदी सैनिक की दिलेरी के किस्से

पाकिस्तानी अधिकारी अक्सर कैप्टन विजेंद्र सिंह गुरुंग (Captain Vijendra Singh Gurung) से कहते थे कि छोटू यहीं रुक जा तुझे पाकिस्तान का हीरो बना देंगे, बस भारतीय सेना के राज बता दे।

Captain Vijendra Singh Gurung

फाइल फोटो।

कैप्टन विजेंद्र सिंह गुरुंग (Captain Vijendra Singh Gurung) को पाकिस्तान ने 1971 के युद्ध में बंदी बना लिया था। दुश्मन ने भारतीय सेना के राज जानने के लिए उन्हें प्रताड़ित किया।

साल 1971 के युद्ध में देहरादून के जोहड़ी गांव के कैप्टन विजेंद्र सिंह गुरुंग (Captain Vijendra Singh Gurung) भी एक योद्धा थे। उनके कजिन कैप्टन सतेंद्र सिंह गुरुंग ने भी उनके साथ उस युद्ध में हिस्सा लिया था। दोनों भाइयों ने कसम खाई थी कि दुश्मन का सफाया कर के ही रहेंगे। कैप्टन विजेंद्र और सतेंद्र ने कई सारे युद्ध एक साथ लड़े थे।

कैप्टन विजेंद्र सिंह गुरुंग (Captain Vijendra Singh Gurung) को पाकिस्तान ने 1971 के युद्ध में बंदी बना लिया था। दुश्मन ने भारतीय सेना के राज जानने के लिए उन्हें प्रताड़ित किया। साथ ही उन्हें कई तरह के लालच भी दिए गए। लेकिन दुश्मन का कोई पैंतरा सफल नहीं हुआ। उनकी यातनाओं से विजेंद्र टूटे नहीं। दुश्मन के हर कोशिश के जवाब में उन्होंने बस यही कहा कि उन्हें देश से प्यारा कुछ भी नहीं है।

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आखिरकार एक साल, एक महीने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। उनके लौटने पर पूरे देश ने दिल खोकर उनका स्वागत किया था। उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान उन्हें सिर पर तीन जगह गहरी चोटें लगी थीं। जिसके कारण वे चार साल तक अस्पताल में भर्ती रहे। कैप्टन विजेंद्र सिंह गुरुंग को गाने का भी शौक है। अपने इस हुनर से उन्होंने दुश्मन का भी दिल जीत लिया था।

 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर उन्होंने पाक अधिकारियों से मांग की थी कि उन्हें देशभक्ति गीत गाने की इजाजत दी जाए। विजेंद्र ने जब गाना शुरू किया तो पाकिस्तानी अधिकारी देखते रह गए। पाकिस्तानी अधिकारियों की मांग पर विजेंद्र सिंह ने छलके तेरी आंखों से शराब, गोविंदा आला रे… कव्वाली बेवफा तेरा यूं मुस्कुराना… गाकर सभी का दिल जीत लिया।

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एक साल एक महीने बाद भारत लौटने पर कैप्टन विजेंद्र सिंह गुरुंग (Captain Vijendra Singh Gurung) का जोरदार स्वागत हुआ था। सड़कों पर उनके नाम के बड़े-बड़े पोस्टर लगाए गए थे। उन पर लिखा था, वेलकम दी वॉर हीरो। बॉर्डर पर उनका भव्य स्वागत किया गया था। वापस लौटने पर उन्हें दस दिन का अवकाश दिया गया था और बाद में असम में तैनात किया गया था।

1 मार्च, 2019 को बाघा बार्डर पर विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान का स्वागत हो रहा था तो दून में कैप्टन विजेंद्र सिंह गुरुंग पाकिस्तान की जेल में बिताए दिनों को याद कर रहे थे।  1971 के युद्ध की यादें कैप्टन विजेंद्र सिंह गुरुंग (Captain Vijendra Singh Gurung) की रग-रग में बसी हैं। इन्हीं यादों को ताजा रखने के लिए उन्होंने अपने कमरे की दीवार पर भारत और पाकिस्तान की सीमा का चित्र भी बनवा रखा है।

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कैप्टन विजेंद्र सिंह गुरुंग (Captain Vijendra Singh Gurung) कहते हैं कि युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने लगभग 617 भारतीय जवानों को बंदी बना लिया था। पाकिस्तानी अधिकारी अक्सर कहते थे कि छोटू यहीं रुक जा तुझे पाकिस्तान का हीरो बना देंगे, बस भारतीय सेना के राज बता दे। पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हुई एयर स्ट्राइक पर उन्होंने वायुसेना के जांबाजों को बधाई भी दी।

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